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साइकिल के टायर, ब्लेड, लकड़ी के डंडे का उपयोग करके बनाए कृषि उपकरण

locationचेन्नईPublished: Jan 16, 2022 11:49:09 pm

खेती में नवाचार- घरेलू सामानों से तैयार कर रहे साधारण कृषि मशीनरी- साइकिल के टायर, ब्लेड, लकड़ी के डंडे का उपयोग करके बनाए कृषि उपकरण- सेल्वराज किसानों को लीक से हटकर सोचने की जरूरत पर मार्गदर्शन कर रहे

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चेन्नई. कृष्णगिरी के 58 वर्षीय किसान एम. सेल्वराज के लिए इनोवेशन कोई अजीब शब्द नहीं है। सरल और नवोन्मेषी कृषि मशीनों के आविष्कार ने उन्हें इस क्षेत्र में अपने साथियों के बीच एक नायक बना दिया है। सेल्वराज के पास सेसुरजापुरम गांव में 2.75 एकड़ जमीन है, जो जिला मुख्यालय कृष्णगिरि से लगभग 110 किमी दूर है। अपने खेत में वह मुख्य रूप से मूंगफली, टमाटर और बाजरा जैसी फसलों की खेती करते हैं। सेल्वराज ने शुरू में विभिन्न कृषि उपकरणों के साथ प्रयोग करना शुरू किया। जल्द ही वह अन्य कृषि मशीनों और घरेलू सामानों से तैयार किए गए भागों के साथ साधारण कृषि मशीनरी बना रहे थे। वर्षों के परीक्षण के बाद वे अब बुवाई, जुताई, निराई सहित कई नवीन उपकरणों का दावा कर रहे हैं। साइकिल के टायर, ब्लेड, लकड़ी के डंडे आदि का उपयोग करके बनाए गए ऐसे कृषि उपकरण 500 रुपए में खरीदे जा सकते है। उनके सबसे बेशकीमती नवाचारों में जंगली सूअर को दूर रखने के लिए बनाया गया एक पंखा और निराई उपकरण शामिल हैं।
वे कहते हैं, खेती शुरू करने से पहले मैं जमीन को समतल करने के लिए रोटावेटर का उपयोग करता हूं। उसके बाद मैं अपने द्वारा बनाए गए कृषि उपकरणों पर स्विच करता हूं। ये उपकरण मेरा बहुत सारा काम बचाते हैं और श्रमिकों पर भी निर्भर होने की आवश्यकता नहीं रहती। आमतौर पर किसान बिस्तर बनाने, बुवाई, निराई, मिट्टी और अन्य कामों के लिए श्रमिकों को रखने के लिए प्रति सीजन 20,000 रुपए से अधिक खर्च करते हैं। लेकिन मेरे आविष्कारों का उपयोग करके हमारे परिवार के सदस्य खुद श्रमिकों पर निर्भर हुए बिना खेती के सभी पहलुओं का ध्यान रखते हैं।
साधारण निराई मशीन का निर्माण
इन दिनों वह आसपास के किसानों को लीक से हटकर सोचने की जरूरत पर मार्गदर्शन करने में लगे हैं। वह अन्य गांवों की भी यात्रा करते है और किसानों को उनकी फसल से संबंधित मुद्दों को हल करने में मदद करते है। एक किसान ने सेल्वराज के उपकरण से प्रेरित एक साधारण निराई मशीन का निर्माण किया है। इसे बनाने में सिर्फ 2,000 रुपए खर्च किए और पिछले चार सालों से इसका सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रहे हैं। धर्मपुरी जिले के किसान भी उपकरण के लिए सेल्वराज से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया का भी सहारा लिया है। कई अन्य किसान सेल्वराज से 2,500 रुपए में खरीदे गए खरपतवार हटाने के उपकरण का उपयोग कर रहे हैं।
श्रमिकों पर खर्च की गई मजदूरी को बचा सकते हैं
वे कहते हैं, इन दिनों श्रम महंगा हो गया है। इससे पहले मुझे चार लोगों की जरूरत थी, जो खरपतवार हटाने के लिए रखे थे और प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रति दिन 250 रुपए खर्च करने पड़ते थे। अब सिर्फ एक व्यक्ति ही काफी है। कुछ रिश्तेदार हमसे खेती के लिए उपकरण भी उधार लेते हैं और बाद में उसे वापस कर देते हैं। सेल्वराज छोटे किसानों के लिए प्रेरणा हैं। उनके उपकरण का उपयोग छोटे किसान कर सकते हैं और वे श्रमिकों पर खर्च की गई मजदूरी को बचाकर लाभान्वित हो सकते हैं।
मनरेगा से प्राप्त धन का उपयोग श्रमिकों को कृषि गतिविधि में शामिल करने के लिए करें
सेल्वराज ने कहा कि राज्य सरकार को ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से प्राप्त धन का उपयोग श्रमिकों को कृषि गतिविधि में शामिल करने के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मजदूरों की कमी से आहत किसानों के लिए यह बेहद फायदेमंद होगा।
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