साध्वी धर्मप्रभा ने कहा कि ज्ञान दर्शन चरित्र का तीन दिन से प्रसंग चल रहा है। भगवान महावीर स्वामी ने कल्याण मार्ग बताया कि साधु संतों को आदर देना चाहिए। दूसरों की गलती नहीं निकालना चाहिए। निंदा करने से बहुत बहुत कर्म बन्धन होता है। अक्षर मुनि ने कहा जिसने आत्मा को जान लिया उसने सबको जान लिया। इस होली पर क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष को छोड़ देना चाहिए। इससे जीवन सार्थक होगा। श्रावक का पहला नियम प्रतिक्रमण, दूसरा सूत्र पच्चखाण तथा तीसरा सूत्र प्रायश्चित है। चौथा सूत्र पापों का पश्चाताप करना है। इनसे श्रावक का जीवन सार्थक बन जाएगा।
वैरागन प्रीति पारख का संघ की तरफ से स्वागत किया गया। इस दौरान श्री गुरुगणेश मिश्री सेवा समिति तमिलनाडु के गठन का बैनर बनाकर उद्घाटन किया गया। समिति के पदाधिकारियों ने श्री गुरु गणेश सामायिक साधना की पुस्तक का विमोचन किया। हैदराबाद संघ ने अगले वर्ष के चातुर्मास की विनती की, जिसको स्वीकृति प्रदान की गई। सिकंदराबाद, केजीएफ, तिरुतन्नी, पट्टाभिराम, आलंदूर, ताम्बरम, क्रोम्पेट, मैसूर, सिदन्नूर, वालाजाबाद, अरक्कोणम, बेंगलूरु से श्रावक पधारे।
22 मार्च को एएमकेएम से विहार कर वेपेरी स्थित सुरेशचंद सुनील आशीष ललवाणी के आवास पधारेंगे। इस अवसर पर जैन कॉन्फ्रेंस तमिलनाडु के अध्यक्ष महावीरचंद रांका, विमलचंद धारीवाल, सिकंदराबाद से अशोक बोहरा, जिनेंद्र रांका, गौतम गुगलिया एवं संघ के सदस्य ब्यावर से मदनसिंह कुम्भट, अभयकुमार श्रीश्रीमाल (जलगांव), कांतिलाल संचेती (करमाला), रतनचंद बोहरा (सिद्धनूर) उपस्थित थे। संचालन शांतिलाल सिंघवी ने किया।