कालेज के सचिव अशोक कुमार मूंदड़ा ने कहा, यहां की प्रार्थना से लेकर शिक्षा तक सभी में आपको ऊर्जा एवं संस्कार मिलेंगे। कॉलेज के शिक्षक हर प्रकार की सहायता के लिए तैयार हैं। 22 जून तक चलने वाले इस कार्यक्रम में कई लोगों के व्याख्यान भी होंगे। एसआईपी टीम के संयोजक डॉ. आगस्टिन ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
जीवन दुखों का सागर
यहां विराजित साध्वी विशालश्री ने कहा लोग अपने अभाव से नहीं दूसरों के प्रभाव से दुखी हैं। दुख स्वयं भोगें और सुख में दूसरों को भागीदार बनाएं। जीवन दुखों का सागर है, यह संसार दुखमय है। दुख का अभिप्राय मन की अप्रसन्नता से है। कभी स्वयं की गलती से तो कभी दूसरों के व्यवहार से और कभी इच्छित कार्य न होने से उत्पन्न भाव ही दुख है। विश्व में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे कोई न कोई दुख न हो।
यह नैसर्गिक सच्चाई है कि व्यक्ति अपने दुख को बहुत अधिक मानता है और दूसरों के असह्य दुख को भी हल्का मान लेता है। दुख की जड़ हमारी आकांक्षाओं में निहित है। दुख अभावजनित न होकर लालसाजनित है। आकांक्षा के आकाश में उडऩे वाले का रिश्ता जमीन से टूट जाता है। सच्चा सुख आत्मशांति में है जिसे हम चाहते हैं लेकिन पाने का प्रयास नहीं करते। संचालन महामंत्री प्रफुल्लकुमार कोटेचा ने किया।