मरीना सौंदर्यीकरण से अधिक महत्वपूर्ण है मछुआरों का कल्याणः हाईकोर्ट
सौंदर्यीकरण बहुत अच्छा है लेकिन कई अन्य मुद्दें भी है जिनका हमें त्याग नहीं करना चाहिए

चेन्नई.
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि मरीना बीच के सौंदर्यीकरण से अधिक महत्वपूर्ण मछुआरों का कल्याण एवं उनका मानवाधिकार है। एक याचिका पर निर्देश जारी करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी एवं जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने मौखिक रूप से ये बातें कही। पीठ ने कहा कि सौंदर्यीकरण किया जा सकता है लेकिन इसके साथ ही पहली प्राथमिकता मछुआरों का कल्याण है। यह मामला मछुआरा अधिकार संगठन फिशरमेन केयर की दो याचिकाओं से संबंधित है। संगठन की मांग है कि हाई सी फिशिंग पर मुरारी समिति की सिफारिशों को लागू किया जाएं, साथ ही फिशिंग प्रतिबंध अवधि के दौरान दिए जाने वाले भत्ते को बढ़ाया जाए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील एल.पी.मौर्या ने कहा कि मुख्य याचिकाएं 2015 से लंबित हैं। उन्होंने कहा कि मुख्य मांग पर विचार नहीं किया जा रहा बल्कि मरीना सौंदर्यीकरण को प्राथमिकता दी जा रही है।
पीठ ने कहा कि सुंदरता को ध्यान में रखते हुए सौंदर्यीकरण बहुत अच्छा है लेकिन कई अन्य मुद्दें भी है जिनका हमें त्याग नहीं करना चाहिए। सुन्दर इलाके को देखने के लिए इन मुद्दों को स्थगित नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में हम सौंदर्यीकरण से पहले अन्य पहलूओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। पीठ ने कहा कि हम सभी को समाज के सबसे कमजोर वर्गों के बारे में चिंतित होना चाहिए। हमें महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देना होगा, लोगों का जीवन और आसान एवं बेहतर बनाना होगा। इसके बाद अदालत ने पोंगल अवकाश के बाद तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
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