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शहरों और गांवों के बीच बढ़ती खाई को पाटने पर करें फोकस

locationचेन्नईPublished: Apr 24, 2019 03:11:19 pm

Submitted by:

Ritesh Ranjan

-आईआईआईटी श्री सिटी का प्रथम दीक्षांत समारोह

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शहरों और गांवों के बीच बढ़ती खाई को पाटने पर करें फोकस

चेन्नई.
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आईटी प्रोफेशनलों से कहा, कि वे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग करें। उपराष्ट्रपति ने भारतीय विश्वविद्यालयों की निराशाजनक वैश्विक रैंकिंग पर चिंता जताई, उच्च शिक्षण प्रणाली में व्यापक सुधार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समरसतापूर्ण समाज के निर्माण के लिए समावेशी विकास अत्यंत जरूरी है। वे यहां आईआईआईटी श्री सिटी के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए युवाओं एवं विद्यार्थियों से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ-साथ अपने विवेक का इस्तेमाल करने को कहा है। मंगलवार को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, श्री सिटी (आईआईआईटी श्री सिटी) के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए युवाओं से राष्ट्र की विभिन्न गंभीर समस्याओं जैसे कि गरीबी, निरक्षरता, जलवायु परिवर्तन, भूखमरी, शहरों एवं गांवों के बीच बढ़ती खाई इत्यादि का समुचित हल निकाल कर समाज में प्रभावशाली योगदान करने को कहा है। नायडू ने विद्यार्थियों से पूरी ईमानदारी, अनुशासन और कड़ी मेहनत से नये मानक तय करने और उन्हें हासिल करने का आह्वान करते हुए उन्हें संतुष्ट होकर न बैठ जाने तथा अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अधिकतम प्रयास करने की सलाह दी। उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों और उत्कृष्टता संस्थानों जैसे कि आईआईटी, आईएसबी, आईआईएम और आईआईआईटी को विद्यार्थियों में नेतृत्व गुण अवश्य पैदा करने की राय देते हुए शिक्षण की पद्धतियों में व्यापक बदलाव लाने का सुझाव दिया, ताकि विद्यार्थियों में सीखने की ललक पैदा हो सके। उन्होंने आईआईआईटी श्री सिटी जैसे संस्थानों से विद्यार्थियों को समग्र एवं गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा मुहैया कराकर वैश्विक मानकों वाले उत्कृष्टता केन्द्र बनने के लिए अथक प्रयास करने को कहा। उपराष्ट्रपति ने भारत के उच्च शैक्षणिक संस्थानों की निराशाजनक वैश्विक रैंकिंग पर गंभीर चिंता जताते हुए उच्च शिक्षा प्रणाली में पूरी तरह से व्यापक बदलाव लाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने विश्वविद्यालयों से पाठ्यक्रम, शिक्षण पद्धतियों और अनुसंधान रणनीतियों में प्रासंगिक बदलाव लाने में अग्रणी भूमिका निभाने को कहा, ताकि भारत को वैश्विक शिक्षण का केन्द्र (हब) बनाया जा सके। नायडू ने यह बात रेखांकित की कि आर्थिक समृद्धि को समान विकास अवश्य ही सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य क्षेत्रों में शहरों और गांवों के बीच बढ़ती खाई को पाटने पर फोकस करने को कहा। उन्होंने एक ऐसे समरसतापूर्ण समाज के निर्माण के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करने की जरूरत पर विशेष बल दिया, जिसमें समाज के विभिन्न तबकों की पहुंच सृजित संपदा तक हो सके। उपराष्ट्रपति ने कहा कि समस्त तकनीकी एवं मानव संसाधनों वाले शैक्षणिक संस्थानों को अपने-अपने विद्यार्थियों को स्थानीय समाज के साथ मिलकर काम करने और उनके समक्ष मौजूद समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधान प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने यह इच्छा भी जताई कि शैक्षणिक संस्थानों को उद्योग जगत एवं सरकार के साथ नियमित रूप से समुचित तालमेल बनाए रखना चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार किया जा सके। उपराष्ट्रपति ने इस ओर ध्यान दिलाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर चालू वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत और वर्ष 2020 में 7.5 प्रतिशत रहने की आशा है। नायडू ने विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों से यह अपेक्षा जताई कि वे भारत की विकास गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों को भारत की युवा आबादी को रोजगार योग्य कौशल प्रदान करने के साथ-साथ युवाओं को समुचित प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर उनकी क्षमता को अधिकतम स्तर पर पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी।
आईआईआईटी श्री सिटी के संचालक मंडल (बोर्ड ऑफ गवर्नर्स) के चेयरमैन श्रीनिवास राजू, आईआईआईटी श्री सिटी के निदेशक प्रो. जी. कन्नाबिरन, आईआईआईटी श्री सिटी के प्रबंध निदेशक रवि सन्ना रेड्डी, इस संस्थान के संचालक मंडल के सदस्य, संकाय सदस्य, अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण, विद्यार्थी व उनके अभिभावक और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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