चेन्नई

गांधी ने खुद का सुख त्यागकर हमें स्वतंत्रता दी

साध्वी धर्मलता ने कहा संस्कृति की रक्षा के लिए मोहम्मद का ईमान, पैगम्बर की शांति, बुद्ध की करुणा, जीसस का प्रेम और महावीर की परम अहिंसा जब तक देश में नहीं होगी तब तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती कुछ घंटे का ही खेल एवं मन का संतोष मात्र होगी।
 

चेन्नईOct 03, 2018 / 02:13 pm

Ritesh Ranjan

गांधी ने खुद का सुख त्यागकर हमें स्वतंत्रता दी

चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा संस्कृति की रक्षा के लिए मोहम्मद का ईमान, पैगम्बर की शांति, बुद्ध की करुणा, जीसस का प्रेम और महावीर की परम अहिंसा जब तक देश में नहीं होगी तब तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती कुछ घंटे का ही खेल एवं मन का संतोष मात्र होगी। एक परंपरा ही बनी रह जाएगी। बुद्ध ने करुणा को चुना और एक पक्षी को बचाने के लिए अपने हाथ का मांस काट कर देने लगे। शांति के लिए पैगम्बर ने हरा रंग चुना व जीसस ने शूली पर चढ़ते हुए प्रेम एवं घावों पर मरहम लगाने की बात कही। जब महावीर ने पैर डसने वाले सर्प के मुख में दूध की धारा बहाई। यह परम अहिंसा है। महात्मा गांधी ने स्वयं का सुख त्यागकर अहिंसा के पथ पर चलकर हमें स्वतंत्रता दी। इस स्वतंत्रता का हमें क्या करना है यह सोचना जरूरी है। साध्वी अपूर्वा ने कहा अनंत ज्ञान, दर्शन, वीर्य एवं अनिर्वचनीय आनंद से परिपूर्ण हमारी विमल शुद्ध चेतना को कर्म वासना के आवरण ने मलिन बना लिया है। उसे निर्मल व पवित्र बनाने का हमारे भीतर रहे अनंत सामथ्र्य को जगाने का कार्य तीर्थंकर स्मरण करता है।
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गुरु का प्रेम मां के स्नेह से बड़ा
चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेश मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा गुरु का प्रेम मां के स्नेह से बढकर होता है। ऐसा सोचने वाला ही वीतरागी गुरु का प्रेम प्राप्त कर सकता है। अपने गुरु आचार्य विमलसागर की १०२वीं जन्म जयंती पर उनका स्मरण करते हुए आचार्य पुष्पदंत सागर भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा गुरु ने अपने सीने से लगाकर प्रेम-प्यार और आत्मीयता दी। वे हमारे जीवन की निधि हैं। उन्होंने कहा, आचार्य विमल सागर सरल, स्नेही एवं निमित्त ज्ञानी थे। उनकी कृपा मात्र से अनेकों जीवों का उद्धार जीवों का उद्धार हुआ।
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