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चेन्नई

म्हारी घूमर छै नखराली ए मां…

म्हारी घूमर छै नखराली ए मां…- कोरोना के बावजूद कम नहीं उत्साह- गवरजा महारानी रखी है थीम- प्रवासी घरों में गूंज रहे गणगौर के गीत

चेन्नईApr 11, 2021 / 12:20 am

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Gangour Festival

Gangour Festival

चेन्नई. इस बार कोरोना के बावजूद गणगौर का उत्साह फीका नहीं हुआ है। हां, यह जरूर है कि इस बार बड़े स्तर पर कोई आयोजन नहीं हो रहा है और महिलाएं घरों में ही छोटे स्तर पर ही गणगौर का आयोजन कर रही है। लेकिन वही उमंग है। इस बार गवरजा महारानी गणगौर की थीम रखी गई है। तीज तिंवारा बावड़ी ले डूबी गणगौर…राजस्थान की प्रसिद्धव कहावत इन दिनों चेन्नई में प्रवासियों के घरों में गूंज रही है। यानी सावन की तीज से त्यौहारों का आगमन शुरू हो जाता है तथा गणगौर पर विसर्जन के साथ ही त्यौहारों के चार महीने पर विराम आ जाता है। उसी राजस्थान की माटी से जुड़ी प्रवासी महिलाएं तमिलनाडु में तीज-त्यौंहार उसी उत्साह एवं उमंग के साथ मना रही है जैसी राजस्थान में मनाती है।
गंवरजा महारानी थीम

किलपॉक मिलर्स रोड रंगनाथन एवेन्यू स्थित संतोष अपाार्टमेन्ट में गणगौर महोत्सव में गंवरजा महारानी थीम में सजी-धजी प्रवासी महिलाओ ने गणगौर महोत्सव में सामूहिक गीत, सामूहिक नृत्य समेत अन्य मनोरंजन प्रतियोगिताओं से महोत्सव का उत्साह दुगुना कर दिया। घुड़ला गाते हुए महिलाएं महोत्सव स्थल पर पहुंची। घुड़लो घुमेला जी घुमेला… की स्वर लहरियां गूंज उठी। इस दौरान गवर की नजर उतारने का कार्यक्रम हुआ। फिर नौरंगी गवर में म्हारी चांद गवरजा भलो ए नादान गवरजा…की स्वर लहरियां गूंजी। बनौलिए के गीत भी गाए गए। हो जी चुन्दरी तो बाई गवरा बाई ने… समेत सामूहिक स्वर ने महोत्सव को उंचाइयां प्रदान की। बधावा गीत चांद चढय़ौ गिरनार…., म्हारी घूमर छै नखराली ए मां… समेत अन्य बोल पर महिलाओं ने नृत्य किया।
गणगौर की बंदौली शुरू

महोत्सव की संयोजिका विमला द्वारकाप्रसाद मूंदडा ने बताया कि अब प्रतिदिन गणगौर को चूरमा समेत अन्य व्यंजनों का भोग लगाया जा रहा है। सुबह एवं शाम को गीतों का वाचन किया जाता है। गणगौर पर्व के दिन गणगौर को अगले एक साल के लिए घूंघट निकाल कर रख दिया जाएगा। महोत्सव में हर बार साहुकारपेट, वेपेरी समेत महानगर के अन्य इलाकों से भी महिलाएं शामिल होती है लेकिन इस बार कोरोना के चलते सीमित संख्या में ही महिलाएं शामिल हुई। इसके साथ ही गणगौर की बंदौली शुरू हो गई। मूंदडा ने बताया कि रंगों के पर्व होली के त्योहार के साथ ही धुलण्डी से सोलह दिवसीय गणगौर पूजन शुरू हो जाता है। जिन लड़कियों की शादी हो जाती है वे सोलह बार गणगौर पूजन करती है। कुंआरी लड़कियां अच्छे वर के लिए कामना करती है।
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हर साल से मना रही
मैं पिछले कई साल से गणगौर पूजन कर रही हूं। होली के दिन से गणगौर की शुरुआत हो जाती है। होलिका को जलाने के बाद बची राख की बनी पिंडोलियों की पूजा की जाती है।
– विमला मूंदड़ा, किलपॉक निवासी।
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बहन से मिली सीख
मैं कुछ वर्षों से गणगौर पूजन कर रही हूं। बड़ी बहन परिता अग्रवाल को गणगौर पूजते देखा तो मैंने भी शुरू कर दिया।गणगौर की पूजा, सुबह आरती करती हूं। इस मौके पर गीत गाए जाते हैं।
-दिशा अग्रवाल, आठवीं की छात्रा, बेन्स मैट्रिकुलेशन हायर सैकण्डरी स्कूल।
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