अंतिम संस्कार के दौरान बच्ची के पिता के साथ उनका 17 साल का बेटा, परिवार के अन्य सदस्य और ग्रामीण मौजूद थे। छात्रा के पिता ने अपनी बेटी की मौत के मामले में न्याय की गुहार लगाई है। इससे पहले छात्रा के शव को एंबुलेंस के जरिए कल्लकुरिची सरकारी अस्पताल से लाया गया। इससे पहले 10 दिन तक शव को अस्पताल में रखा गया था। छात्रा की मां ने अंतिम संस्कार के लिए शव को पाने संबंधी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।
न्यायालय का निर्देश
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को मद्रास उच्च न्यायालय ने शव को स्वीकार करने में देरी पर सवाल उठाए थे और शनिवार सुबह लड़की के माता-पिता को शव लेने का निर्देश दिया, जिसके बाद वे इस पर सहमत हो गए। लड़की के शव को ले जा रही एंबुलेंस और पुलिस सुरक्षा वाहन की एक कंटेनर-लॉरी से तिरुचिरापल्ली बाइपास रोड पर वेपूर से करीब 10 किलोमीटर दूर मार्ग में मामूली टक्कर भी हो गई थी, हालांकि इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। एम्बुलेंस को एसपी पकलवन ने कब्रिस्तान तक एस्कॉर्ट किया।
श्रम मंत्री ने दी श्रद्धांजलि
राज्य सरकार की ओर से श्रम मंत्री सी. वी.गणेशन और जिला कलक्टर ने गांव पहुंचकर लड़की के शव को श्रद्धांजलि दी। वे पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ अंतिम यात्रा में भी शामिल हुए। 12वीं कक्षा की छात्रा की मौत पर संदेह जताते हुए परिजनों ने शव लेने इनकार कर दिया था। फिर 17 जुलाई को प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई। अदालती दखल के बाद एसआइटी का गठन हुआ और माता-पिता शव लेने को तैयार हुए। मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पुदुचेरी स्थित जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जिपमेर) के डॉक्टरों की एक टीम को लड़की के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का विश्लेषण करने और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
बेटी के मौत के जिम्मेदारों को मृत्युदण्ड मिले
छात्रा के शव का अंतिम संस्कार करने के बाद उसके पिता रामलिंगम ने कहा, 'मेरी बेटी की मौत पर मुझे इंसाफ मिलना चाहिए। मेरी बेटी की जान लेने वालों को सजा मिलनी चाहिए। मेरी बेटी ने आत्महत्या नहीं की, उसकी हत्या हुई है। इसके लिए पूरी तरह से स्कूल प्रशासन जिम्मेदार है। मेरा अनुमान है कि मेरी बेटी की हत्या में 7 लोग शामिल हैं। जहां तक सीबीसीआइडी जांच का सवाल है, मुझे लगता है कि चीजें अच्छी होंगी। मुझे पूरा भरोसा है कि जांच के नतीजे मेरे पक्ष में आएंगे।'