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मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को दिया संबल

locationचेन्नईPublished: Jul 02, 2019 12:20:05 am

मद्रास एस्प्लेनेड राउण्ड टेबल-30 एवं मद्रास एस्प्लेनेड लेडिज सर्किल-100 के संयुक्त तत्वावधान में जरूरतमन्द एवं विशेष बच्चों के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित…

Giving to mentally impaired children

Giving to mentally impaired children

चेन्नई।मद्रास एस्प्लेनेड राउण्ड टेबल-30 एवं मद्रास एस्प्लेनेड लेडिज सर्किल-100 के संयुक्त तत्वावधान में जरूरतमन्द एवं विशेष बच्चों के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।
क्लब के सदस्य मानव जैन ने बताया कि लगातार छठे साल हम उनके मासूम चेहरों पर मुस्कान लाने में सफल रहे। लगभग 600 बच्चों ने विभिन्न खेल स्पर्धाओं का आनन्द उठाया। इसके साथ ही सभी बच्चों की नेत्र जांच भी की गई। इस दौरान इन बच्चों के मनोरंजन के लिए विभिन्न तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें कई बच्चे मानसिक रूप से विमंदित थे।

विकट हालात में भी सक्रिय बनाए रखती है सहनशीलता

चेटपेट में हैरिंगटन रोड स्थित झामड विला में विराजित कपिल मुनि ने कहा कि जिंदगी के प्रत्येक मोर्चे का मुकाबला करने के लिए परिषह विजय की साधना बेहद जरुरी है। जीवन में आगत कष्ट, दु:ख को समभाव से सहन करना ही परीषह विजय है। सहिष्णुता कमजोरी नहीं बल्कि व्यक्तित्व को निखारने वाला एक महत्वपूर्ण गुण है। इस गुण के अभाव में व्यक्ति की सभी विशेषता अर्थहीन हो जाती है। जिसे सहना आता है वही जीवन को जीना जानता है।

सहनशीलता एक ऐसी क्षमता है जो हमें विकट हालातों में भी सक्रिय बनाए रखती है। सहिष्णुता की जीवन में बहुत ही उपयोगिता है। यह दुनिया रंग-बिरंगी और विचित्रता से भरी है। यहां सब की रुचि, स्वभाव, विचार, रंग-रूप एक सामान नहीं होता। व्यक्ति को जीवन में अनेक कड़वे मीठे अनुभवों के दौर से गुजरना होता है। जीवन संघर्ष में अनेक उतार-चढ़ाव, विपदाएं, प्रतिकूलताएं सहनी होती है। इन प्रतिकूलताओं के चलते हमें हर पल आगे बढऩा है तो सहनशक्ति का विकास करना होगा।

सहन शक्ति के विकास से व्यक्ति शक्तिशाली और समर्थ बनता है। जीवन शक्ति और सहनशक्ति दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। प्रतिकूल विचार, व्यक्ति और परिस्थितियां को सहना ही सहिष्णुता है। सहिष्णुता अनेक सद्गुणों की जननी है। सहिष्णुता से जीवन शक्ति की वृद्धि होती है जो की आनन्द की अनुभूति का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि प्रतिकूलताएं कष्ट, दुख, जीवन की परीक्षा है और जब हम इसमें उत्तीर्ण हो जाते हैं तो आनन्द मिलता है। व्यक्ति को सफल नहीं होने पर निराश होने के बजाय धैर्य का दामन थामना चाहिए।

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