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सत्कार्य से कम होंगे कर्म बंधन

locationचेन्नईPublished: Sep 29, 2018 12:21:56 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

साध्वी धर्मलता ने कहा अभिमानी कहता है कि जगत मेरा सेवक है और विनयी कहता है मैं जगत का सेवक हूं।

चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता ने कहा कि अब मन को तेजो लेश्या में लाना है। पद्म और शुक्ल लेश्या में आभा मंडल शुभ होगा। पद्म और शुक्ल लेश्या वाला व्यक्ति सात्विक जीवन जीता है। कीचड़ में रहकर भी कमल खिलता है। पद्म लेश्या में इलायची कुमार जीते थे। उन्हें नृत्य देखकर वैराग्य आया। हम चार महीने इसलिए प्रवचन सुनते हैं क्योंकि हमारे व्यवहार में बदलाव आए। सत्कार्य से कर्म के बंधन कम होंगे। यही पद्म और तेजो लेश्या के भाव हैं। पद्म सरोवर देखेंगे तो सरोवर के पार जाने और मोक्ष पाने का भाव जागेगा। शुभ भावना से दिया गया दान मोक्ष की ओर ले जाता है। साध्वी परमकीर्ति ने कहा क्रोध करने के पहले अच्छी तरह से सोचो। हर बात में फायदा और नुकसान देखते हो और क्रोध करने के पहले नहीं सोचते। क्रोध आए तो सोचो इसका क्या फायदा है और क्या नुकसान। क्रोध से किसी भी प्रकार लाभ नहीं होता। इसके कारण कई बार लोगों की मौत भी हो जाती है। इसलिए इससे बचने का हमेशा प्रयास करना चािहए। साध्वी ने कहा जैसे शुभ कार्य के लिए मुहूर्त निकलवाते हैं वैसे ही अशुभ कार्य से बचने के लिए भी मुहुर्त निकालो।
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कभी साथ नहीं देती मिट्टी की काया
चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा अभिमानी कहता है कि जगत मेरा सेवक है और विनयी कहता है मैं जगत का सेवक हूं। व्यक्ति जब जन्म लेता है तो उसके पास में न तो काम होता है और न ही धाम। न कोई पद होता है और न ही प्रतिष्ठा। नाम के चक्कर में पद और प्रतिष्ठा की दीवार खींचने वाला व्यक्ति अभिमानी हो जाता है। जो अपने आप को नहीं पहचान सकता वह ज्ञान-ध्यान-तप-बल का अभिमान करता है। अहंकारी व्यक्ति अपने आपको ही सब कुछ जबकि दूसरों को मूर्ख समझता है। अहंकारी घंटाघर के बंदर के समान होता है जो खुद को सबसे ऊपर समझता है। संसार में तीन प्रकार के रोग हैं तन का, मन का और आत्मा का। मान के कषाय पर विजय प्राप्त करने से ही केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है। साध्वी अपूर्वा ने कहा तीर्थंकरों का नाम दिव्यता से भरा है चौबीस तीर्थंकरों के नाम में सुविधिनाथ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा यह नाम प्रेरक भी है। सहायक और प्रभावक भी। इस नाम में सु यानी अच्छा और विधि यानी शैली का समावेश है।

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