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तालाब-बावडिय़ों के संरक्षण के प्रति सरकार लापरवाह

locationचेन्नईPublished: Sep 03, 2018 06:16:57 pm

Submitted by:

P S VIJAY RAGHAVAN

पीएमके नेता अन्बुमणि रामदास ने लगाया आरोप

Government careless towards the protection of pond-bawwadis

तालाब-बावडिय़ों के संरक्षण के प्रति सरकार लापरवाह

मदुरै. पाट्टाली मक्कल कच्ची का आरोप है कि मौजूदा एआईएडीएमके सरकार राज्य के जलस्रोतों के संरक्षण को लेकर लापरवाह है।जिले के पळंगान गांव में एक जागरूकता कार्यक्रम में पीएमके के धर्मपुरी सांसद व युवा इकाई के नेता डा. अन्बुमणि रामदास शामिल हुए। उन्होंने संबोधन दिया कि जलस्रोतों को लेकर तमिलनाडु के राजनेता तनिक भी फिक्रमंद नहीं है। जल प्रबंधन को लेकर पीएमके के पास व्यवस्थित योजना है। राज्यभर में जनता में जल को लेकर जागरूक बनाने के लिए पार्टी ने अभियान शुरू किया है। सांसद ने कहा कि वैगई नदी में ५८ जगहों पर अपशिष्ट जल प्रवाहित किया जाता है। द्रविड़ पार्टियां जल प्रबंधन को लेकर अस्पष्ट है।
पीएमके इस मसले पर किसी भी राजनीतिक दल से बहस को तैयार है। अन्बुमणि ने आश्चर्य जताया कि तमिलनाडु से भी कम बारिश वाले आंध्रप्रदेश व तेलंगाना में भी जल प्रबंधन को लेकर योजनाएं हैं। अगले कुछ सालों में जलवायु और मानसून में बहुधा परिवर्तन होने की संभावना जताई गई है। राज्य में अतिवृष्टि और अनावृष्टि बढ़ेगी। इनसे निपटने के लिए सरकार के पास कारगर योजनाएं नहीं हैं।
उन्होंने सरकार पर चुटकी ली कि जल प्रबंधन पर ध्यान देने के बजाय सरकार फालतू की चेन्नई-सेलम ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट आठ लेन जैसी योजनाओं को लागू करने पर तुली है। इसके बजाय चेन्नई-कन्याकुमारी हाईवे को आठ लेन में तब्दील किया जाए तो रोजगार की संभावनाओं का विस्तार होगा। अन्बुमणि ने कहा कि तमिलनाडु में ६९ प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में नवम्बर महीने में सुनवाई होगी। इस मामले में अगर राज्य के खिलाफ फैसला आता है तो सामाजिक न्याय व्यवस्था के साथ अन्याय होगा। लिहाजा राज्य को इस मामले में केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए।
अन्बुमणि ने आश्चर्य जताया कि तमिलनाडु से भी कम बारिश वाले आंध्रप्रदेश व तेलंगाना में भी जल प्रबंधन को लेकर योजनाएं हैं। अगले कुछ सालों में जलवायु और मानसून में बहुधा परिवर्तन होने की संभावना जताई गई है। राज्य में अतिवृष्टि और अनावृष्टि बढ़ेगी। इनसे निपटने के लिए सरकार के पास कारगर योजनाएं नहीं हैं।
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