TAMILNADU सरकार की प्रतिबंधित प्लास्टिक योजना फेल!
चेन्नईPublished: Sep 11, 2019 04:59:35 pm
CHENNAI प्लास्टिक की थैलियों का बाजार में प्रसारसरकार नहीं लगा पा रही रोक
TAMILNADU सरकार की प्रतिबंधित प्लास्टिक योजना फेल!
चेन्नई. गत जनवरी में प्लास्टिक उत्पाद प्रतिबंधित होने के साथ ही निगम के अधिकारियों ने धरपकड़ शुरू कर दी। जुर्माने एवं पकड़े जाने के भय से लोगों ने अपनी दुकानों पर प्लास्टिक की थैलियां रखना बंद कर दिया तो रेस्तरां से कप-गिलास गायब हो गए। लोग बाजार में सामान लेने के लिए थैला साथ ले जाने लगे। करीब तीन माह तक तो यही स्थिति रही लेकिन उसके बाद ज्योंही लोकसभा चुनाव नजदीक आए निगम अधिकारियों ने जांच से मुंह फेर लिया। इसका फायदा उठाकर प्लास्टिक विक्रेताओं ने फिर अपना माल बाजार में उतारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे पूरे बाजार में आते-आते अभी पूरी तरह दुकानों पर प्लास्टिक की थैलियों में सामग्री मिलने लगी है। ऐसा लग रहा है जैसे सरकार ने प्लास्टिक पर से प्रतिबंध हटा लिया है।
हर जगह बंद हो गया था प्लास्टिक का उपयोग
जनवरी से मार्च तक इन तीन माह के दौरान मेगामाल और प्रोविजन स्टोर्स, रेस्तरां समेत हर जगह प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल बंद कर दी गई थी। होटलों से पार्सल लाने के लिए लोगों को अपने घर से थैला लाना पड़ता था। यहां तक कि सब्जी एवं फल व अन्य सामग्री विक्रेता भी ठेलों प्लास्टिक की थैली लाना भूल गए थे, लेकिन निगम की ढील का फायदा उठाकर कुछ समय के अंतराल पर महानगर में प्लास्टिक उत्पादों की वापसी शुरू हो गई। इससे ऐसा प्रतीत होता है कदाचित प्रशासन इन प्लास्टिक उत्पादों को बंद करना ही नहीं चाहता।
फिल्म जगत व शिक्षण संस्थान भी आगे आएं
महानगर बल्कि पूरे राज्य में प्लास्टिक उत्पादों पर रोक लगाने में फिल्म जगत और शिक्षण संस्थानों को भी आगे आकर सहयोग करना चाहिए। यह कहना है महानगर वासियों का। कोई भी अभियान तभी सफल होता है जब उससे शिक्षा जगत, फिल्म जगत और क्रिकेट जगत के लोग जुड़ते हैं। जब तक लोगों के दिमाग में यह बात फिट नहीं होगी कि प्लास्टिक की थैलियां हमारे जीवन के लिए घातक हैं तमिलनाडु में प्लास्टिक उत्पादों पर रोक लग पाना संभव नहीं है।
फिल्मी सितारे भी जुड़ें
एक समाजसेवी आर. दिवाकरण का कहना था कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने में फिल्मी सितारों को जुडऩा चाहिए। यदि वे प्लास्टिक प्रतिबंध पर रील बनाकर प्रचार में उतारेंगे तो आमजन का उसे देखने के बाद ही उनका प्लास्टिक से मोहभंग हो पाएगा। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में प्रतिबंध लगने के ८ आठ महीने गुजरने के बावजूद हर जगह प्लास्टिक थैलियों का उपयोग हो रहा है। फिर भी सरकार मौन साधे हुए है। एक साहित्यकार रतन रवि का कहना था कि राज्य को प्लास्टिक मुक्त करना है तो स्कूल और कॉलेजों में भी बच्चों को प्लास्टिक के नुकसान के बारे में बताना जरूरी है ताकि वे अपने घर जाकर सबको समझा सकें।
सिंगल यूज प्लास्टिक बीमारियों का घर
सिंगल यूज प्लास्टिक से कैंसर जैसी भयानक बीमारी हो रही है। खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है। गाय, भैंस और अन्य पशु भी प्लास्टिक खाकर घातक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। यदि स्कूलों और कॉलेजों में छात्र छात्राओं को प्लास्टिक उत्पादों से हो रहे पर्यावरण के नुकसान के बारे में बताया जाएगा तो इसका लोगों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा और वे प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग बंद करने के लिए तैयार होंगे।
रोक लगाना बड़ी चुनौती
लेखिका कल्पना श्रीवास्तव का कहना था कि प्लास्टिक उत्पाद तो मानव जीवन में रच बस गए हैं। खाने पीने की वस्तुओं ही क्या शृंगार प्रसाधन भी प्लास्टिक पैकिंग में बेचा जा रहा है। बाजार में बिक रहे गैस चूल्हे हो या फिर खाना बनाने के बर्तन, सभी प्लास्टिक की थैलियों में ही पैक होकर आते हैं। ऐसे में इन उत्पादों को रोकना बहुत बड़ी चुनौती है। इसे रोकने में हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। इनमें फिल्मी जगत और क्रिकेट जगत के लोगों को आगे आना चाहिए, क्योंकि आज की युवा पीढ़ी इन लोगों को ही अपना रोल मॉडल मानते हैं।
केन्द्र सरकार उठा रही कदम
बहरहाल आगामी २ अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर केन्द्र सरकार पूरे देश में प्लास्टिक रोको अभियान चलाने की घोषणा करेगी। तमिलनाडु सरकार और यहां के कॉलीवुड और खेल जगत को भी सरकार के साथ प्लास्टिक उत्पादों को रोकने में सहयोग करना चाहिए।