इस पूरे प्रक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका संदेह के दायरे में आती है। इसमें अनिल अंबानी की कर्ज से लदी रिलायंस डिफेंस को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई है जबकि इससे राजकोष को काफी नुकसान पहुंचा है। भूषण ने कहा इस सौदे में एक विमान की कीमत जो कि ७१५ करोड़ रुपए थी वह बढ़ कर १,६६० करोड़ रुपए हो गई है। यह सब केवल अम्बानी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। इस डील के समय रिलायंस की डिफेंस कंपनी केवल १५ दिन पुरानी थी। नरेंद्र मोदी को इस कंपनी में ऐसा क्या दिखा कि एचएएल को दरकिनार कर रिलायंस के हाथ डील थमा दी गई।
प्रशांत भूषण ने मांग की कि इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से एक तय समय सीमा के अंदर कराई जाए। केंद्र सरकार अपने मंत्रियों से अलग-अलग बयान दिलाकर और दूसरे मुद्दों व कार्यक्रमों को आगे कर इस पूरे प्रक्रम से लोगों का ध्यान भटकाने का काम करने में लगी है। रक्षा सौदे पर कभी वित्त मंत्री अपनी प्रतिक्रिया देंगे तो कभी कानून मंत्री वहीं वित्त विभाग से जुड़े मामलों में रक्षा मंत्री बयान देंगी। यह पूरी प्रक्रिया जनता का ध्यान भटकाने के लिए की जा रही है।