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प्रकृति का सम्मान करना सीखें

locationचेन्नईPublished: Sep 17, 2019 06:24:37 pm

Tamilnadu news: राजस्थान पत्रिका (Rajasthan Patrika) का हरित प्रदेश ( Harit Pradesh) अभियान पुझल (Puzal) शक्तिवेल नगर स्थित श्री नीलकण्ठ महादेव मंदिर (Temple) परिसर में पौधरोपण

Harit pradesh: Natural Environment: Tamilnadu: Chennai: Greenery: Tree

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चेन्नई. हम प्रकृति का सम्मान करना सीखें। मौजूदा समय में सर्वाधिक जरूरत अधिकाधिक पौधे लगाने की है। इससे पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा। हमारे देश में पानी का मुख्य ोत मानसून ही है। जंगलों के कटने एवं जलवायु परिवर्तन के कारण अब मानसून का सत्र घट गया है। मानसून के दौरान प्राप्त वर्षाजल को अधिक प्रभावी ढंग से एकत्रित कर जब जरूरत हो तब जीवन रक्षक सिंचाई एवं अन्य रूप में उपयोग किया जा सकता है।

बताई पौधरोपण की महत्ता
प्रारम्भ में राजस्थान पत्रिका चेन्नई के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुरोहित ने राजस्थान पत्रिका के हरित प्रदेश अभियान के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता हापूराम बेनीवाल, पुखराज बांगड़ा, महेन्द्र भंवरिया, खेमाराम डिडेल, रामदेव बरणगा, अमराराम इचलकरंजी समेत अन्य गणमान्य लोगों ने भी पौधरोपण की महत्ता को प्रतिपादित किया।

होगी पर्यावरण की रक्षा
राजस्थान पत्रिका के हरित प्रदेश अभियान के तहत रविवार को पुझल शक्तिवेल नगर स्थित श्री नीलकण्ठ महादेव मंदिर परिसर में पौधरोपण किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि पौधरोपण के जरिए ही हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। हम प्रकृति का आदर करें तथा जितना बन सकें अच्छा करें। पर्यावरण की दिशा में हमें सोचना चाहिए। यदि पर्यावरण का संतुलन गड़बड़ा गया तो भविष्य सुरक्षित नहीं रह पाएगा।

हरा-भरा हो सकेगा परिसर
वक्ताओं ने कहा कि मंदिर परिसर में पौधे लगाने से परिसर हरा भरा हो सकेगा। इससे शुद्ध हवा मिलेगी, मौसम अच्छा रह सकेगा। पेड़ों को बचाना व उनका संरक्षण हमारा दायित्व बनता है। हम अधिकाधिक पौधे लगाएं और उनकी नियमित सार-संभाल करें। इस मौके पर लोगों ने आने वाले दिनों में चेन्नई एवं आसपास के इलाकों में विभिन्न स्थानों पर अधिकाधिक पौधे लगाने का संकल्प दोहराया।

पौधों की परवरिश भी हो
यदि हम चाहें तो हर घर को अपना खेत बना सकते हैं। शहरों में स्थान की कमी को कारण बताकर हम इस तरफ से उदासीन नहीं हो सकते। अन्य लोगों की भी सब्जी, औषधीय पौधे तथा पुष्प इत्यादि उगाने के प्रति रूचि जागृत कर सकते हैं। पौधे की एक बालक की तरह देखरेख ही अच्छे परिणाम दे सकती है।
-पेमाराम खीचड़, पूर्व सचिव, श्री जाट समाज तमिलनाडु।

विभिन्न स्थानों पर हों ऐसे आयोजन
इस तरह के कार्यक्रम विभिन्न स्थानो पर चलाने चाहिए। जो घर का पानी बाहर व्यर्थ बहता है उसे यदि काम में लिया जाएं तो कई पौधे बचाए जा सकते हैं। हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना बन्द करें वरना हालात भयावह होते देर नहीं लगेगी।
-हुकमाराम गोदारा, उपाध्यक्ष, आदर्श जाट महासभा, तमिलनाडु।

पर्यावरण की हो रक्षा
हर व्यक्ति एक-एक पौधा जरूर लगाएं। पौधा लगाने के बाद उसकी परवरिश की जिम्मेदारी भी लें। पर्यावरण की रक्षा करना हमारा दायित्व है। हम पेड़ लगाएं तो हरा-भरा वातावरण बन जाएगा। स्वस्थ जीवन रह सकेगा। आए दिन पेड़ कट रहे हैं। कई प्रदेशों में ऋतुए बदल रही है। इस कारण अकाल पड़ रहे हैं। आओ हम सब मिलकर इसकी रक्षा करें।
-कुम्भाराम चोयल, महासचिव, आदर्श जाट महासभा, तमिलनाडु।

ठोस कदम उठाने की जरूरत
हरितिमा की चादर बिछी रहेगी तो मन को शांति मिल सकेगी। इससे वर्षा का संतुलन भी बना रह सकेगा। लेकिन केवल बातों से कुछ नहीं होने वाला। ठोस कदम उठाने की जरूरत है। अतिक्रमण का फैलाव भी हमारे लिए चिंताजनक है। इससे बरसात का संतुलन गड़बड़ा रहा है। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित धुएं एवं दूषित पानी से जल एवं जमीन भी प्रदूषित हो रही है।
-ओमप्रकाश गोदारा, व्यवसायी व सामाजिक कार्यकर्ता।

पर्यावरण में निभाएं भागीदारी
हमें अधिकाधिक पौधे लगाने चाहिए। इसी से पर्यावरण की शुद्धि बनी रह सकेगी। आज प्रतिज्ञा लेते हैं कि पर्यावरण की हर हाल में रक्षा करेंगे। हरा-भरा प्रदेश बनाकर पर्यावरण में अपनी भागीदारी निभाएंगे। आज पर्यावरण को हम भूलते जा रहे हैं। गांवो में भी पीने का पानी महंगी दरों पर खरीदना पड़ रहा है।
-सहदेवराम बेड़ा सेंसड़ा, अध्यक्ष, श्री जाट नवयुवक मंडल, चेन्नई।

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