चेन्नई

Tamilnadu: तीन लाल परिवार के इर्द-गिर्द घूमती रही है हरियाणा की राजनीति

हरियाणा (Hariyana) की राजनीति का जिक्र करते ही बंसीलाल(Banshilal) , देवीलाल(Devilal) व भजनलाल(Bhajanlal) का नाम जरूर आता है। हरियाणा (Hariyana0 की राजनीति इन्हीं तीन लाल परिवार (Family) के इर्द-गिर्द सिमटी रही है। लेकिन मौजूदा दौर में इनके परिवार को सियासी वजूद बनाए रखने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। बंशीलाल चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री (Chief Minister) रहे। भजनलाल नौ बार विधायक (Mla) एवं तीन बार मुख्यमंत्री रहे। देवीलाल दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री एवं एक बार देश के उप प्रधानमंत्री

चेन्नईOct 20, 2019 / 10:34 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Hariyana assembly election

चेन्नई. कभी हरियाणा की सियासत में तीन लाल यानी बंशीलाल, भजनलाल व देवीलाल का बोलबाला था। राजनीतिक इनके इर्द-गिर्द ही घूमा करती थीं। हरियाणा के गठन के बाद लगभग तीन दशक तक लाल परिवार का ही दबदबा रहा। बंशीलाल चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। भजनलाल नौ बार विधायक एवं तीन बार मुख्यमंत्री रहे। देवीलाल दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री एवं एक बार देश के उप प्रधानमंत्री रहे।
इस बार भी लाल परिवार के दस सदस्य चुनाव में है। लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई नजर आ रही है। ये परिवार अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। पंजाब से अलग होकर 1966 में हरियाणा का गठन किया गया।
हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं। हरियाणा में मतदाताओं की संख्या 1.82 करोड़ है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 47 सीटें जीती थी। तब मनोहरलाल खट्टर मुख्यमंत्री बने थे। तब भाजपा ने हरियाणा में पहली बार बहुमत हासिल किया था। भाजपा ने दस साल से सत्ता पर काबिज कांग्रेस को उखाड़ फेंका था। तब इंडियन नेशनल लोकदल को 19 तथा कांग्रेस को 15 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा इस बार फिर से सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
सभी 10 सीटों पर कब्जा

पिछले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने प्रदेश की सभी 10 सीटों पर कब्जा जमाया था। लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा कांग्रेस में मतभेद की बातें सामने आती रही है। हरियाणा में करीब 25 फीसदी जाटों की आबादी होने का दावा किया जाता है। इसलिए भाजपा, कांग्रेस व जेजेपी ने भी इसी समाज को सबसे ज्यादा टिकट दिए हैं।
मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में
इस बार के चुनाव में मुख्य टक्कर भाजपा एवं कांग्रेस के बीच ही बताई जा रही है। जबकि इंडियन नेशनल लोकदल एवं उसी से निकली जननायक जनता पार्टी का भी अच्छा प्रभाव है। हालांकि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कोई बड़ी चुुनौती देती इसलिए नहीं दिख रही है कि वह खुद बिखरी हुई है।
कई छोटे दल भी मैदान में
हरियाणा चुनाव में स्वराज इंडिया 27 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। स्वराज इंडिया के चुनाव प्रचार का जिम्मा योगेंद्र यादव के कंधों पर हैं। योगेंद्र यादव दिन-रात हरियाणा में चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। अपनी सभाओं में योगेंद्र यादव सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष पर भी जमकर बरस रहे हैं। सभाओं में योगेंद्र यादव लोगों से सरकार से 5 सवाल पूछने के लिए कहते हैं जो बीजेपी ने 2014 के चुनावों में वादे किए थे। अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी उम्मीदवार उतारे हैं।
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एक बार फिर बनेगी भाजपा की सरकार
हरियाणा की राजनीति में अब तीनों लाल परिवार का इतना दखल नहीं रह गया है। पिछले चुनाव में भाजपा ने 90 में से 47 सीटें जीती थी। सरकार भाजपा ने बनाई और मनोहरलाल खट्टर मुख्यमंत्री बने। इस बार भी भाजपा ने 90 में से 75 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है और निश्चित रूप से भाजपा इसमें सफल भी होगी। हरियाणा में एक बार फिर खट्टर मुख्यमंत्री बनेंगे।
पवन कुमार अग्रवाल, हिसाल मूल के।
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जुड़े हुए हैं जड़ों से
हम अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। भले ही कर्मभूमि हमने तमिलनाडु को बनाया है लेकिन अपनी जन्मभूमि हरियाणा से आज भी उतना ही लगाव बना हुआ है जितना पहले थे। साल में दो-तीन बार हरियाणा जरूर जाते हैं। हरियाणा के चुनाव में भी हम पूरी दिलचस्पी रखते हैं।
अनिल गुप्ता, चरखी दादरी मूल के।
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प्रवासियों के काम को मिले तवज्जो
हरियाणा मूुल के लोग जो देश के अन्य राज्यों में बस चुके हैं। वे जब हरियाणा जाते हैं तो उनके कार्यों को तवज्जो दी जाएं। हालांकि चाहे व्यापारी वर्ग हो या चाहे अन्य वर्ग। हरियाणा से उनका नाता बना रहा है।
सुशील अग्रवाल, हिसार मूल के।
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सरकार की पॉलिसी
हरियाणा में जाट आन्दोलन का बहुत नुकसान उठाना पड़ा था। दूसरा सरकार की पॉलिसी ऐसी हो जिससे छोटे एवं मध्यम व्यापारियों को भी फायदा मिल सके। हरियाणा के लोगों की बात की जाएं तो वे समूचे देश में फैले हुए हैं। विभिन्न स्थानों पर बिजनस एवं नौकरी कर रहे हैं।
मनीष गुप्ता, हिसार मूल के।
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छात्र संघ चुनाव की परम्परा अच्छी
महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय स्तर पर छात्र संघ चुनाव की परम्परा अच्छी है। इससे छात्रों को नेतृत्व क्षमता का विकास होता है। एक तरह की राजनीतिक की बुनियाद यहां से शुरू हो जाती है। जरूरत इस बात की है कि छात्र राजनीति से ही उन्हें सकारात्मक सोच की तरफ ले जाया जाएं।
-पुनीत गुप्ता, चरखी दादरी मूल के।
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