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श्रीमद भागवत कथा का हवन यज्ञ में पूर्णाहुति के साथ समापन

locationचेन्नईPublished: Aug 10, 2022 11:58:34 pm

यज्ञ में आहुति देकर की क्षेत्र की खुशहाली की कामना

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अन्नानगर शांति कॉलोनी स्थित श्री रामदयालकलावती खेमका अग्रवाल सभा भवन में श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर भक्तों ने हवन यज्ञ में पूर्णाहुति दी। इसी के साथ भागवत कथा का विश्राम हो गया। श्री अग्रवाल सभा की इकाई श्री अग्रवाल सत्संग समिति के तत्वावधान में आयोजित कथा के पश्चात वेद मंत्रोच्चारण के मध्य हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। महानगर के साथ ही विभिन्न शहरों से भक्तगण शामिल हुए। यज्ञ मेंआहुति देकर क्षेत्र की खुशहाली और विश्व में सभी के स्वस्थ रहने की कामना की। हवन के महत्व की जानकारी देते हुए पंडित बजरंग शास्त्री महाराज ने कहा कि यज्ञ का धुआं वातावरण एवं वायु मंडल को शुद्ध करने के साथ लोगों के आत्मबल को बढ़ाता है। श्रीमद् भागवत से जीव में भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं।
उन्होंने कहा कि यज्ञ करने से प्राकृतिक वातावरण में शुद्धता के साथ-साथ अपने भीतर के अवगुण भी दूर होते हैं। उन्होंने बताया कि यज्ञ से रोगाणुओं अर्थात कृमियों का नाश हो जाता है। यह रोगजनक कृमि पर्वतों, वनों, औषधियों, पशुओं और जल में रहते हैं, जो हमारे शरीर में अन्न और जल के साथ जाते हैं। उन्होंने कहा कि भक्त की साधना से खुश होकर भगवान रीझ जाते हैं। उन्होने कहा कि कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा। कलियुग में जीवन के सभी पापों से मुक्ति का एक मात्र आधार भगवान की भक्ति ही है। भगवान का नाम स्मरण करने से ही भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। भगवान नाम में भारी शक्ति है।
पंडित बजरंग शास्त्री महाराज ने व्रत उपासना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोई ईश्वर किसी से भूखे पेट रहकर भक्ति करने को नहीं कहते हैं। मन पर नियंत्रण और नाम जाप ही इस जगत में पार लगाने के लिए काफी है। दुष्ट व्यक्ति दूसरे के दुःख से कभी परेशान नहीं होता बल्कि दूसरे के सुख से परेशान होता है। पुरूषार्थ से ही श्रेष्ठ भाग्य का निर्माण होना संभव है लेकिन इसके लिए नि:स्वार्थ भाव से कार्य करते रहना चाहिए। वर्तमान में किए जाने वाला पुरूषार्थ ही हमारे अगले जीवन के अच्छे भाग्य का निर्माण करते हैं।
महाराज ने कहा कि संसार सागर में भक्ति एक नौका की तरह है। नौका के बिना भव सागर से पार नहीं उतरा जा सकता है। उसी तरह भक्ति के बिना मनुष्य जीवन पटरी पर नहीं चल सकता है। ईश्वर भक्ति का मार्ग अपना कर मनुष्य को मोक्ष का मार्ग पर चलना चाहिए। कथा सुनने आये भक्तों का कथावाचक पंडित बजरंग शास्त्री महाराज, श्री अग्रवाल सभा के अध्यक्ष इन्द्रराज बंसल एवं अन्य पदाधिकारियों और मुख्य यजमान सांघी परिवार ने विशेष आभार व्यक्त किया।
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