वेदा निलयम को स्मारक में तब्दील करने में कोई आपत्ति है क्या?
- हाईकोर्ट का आयकर विभाग से प्रश्न

चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने आयकर विभाग से प्रश्न किया है कि क्या जयललिता के आवास वेदा निलयम को स्मारक में तब्दील करने पर उसे कोई आपत्ति है?
पोएस गार्डन स्थित वेदा निलयम में जयललिता ४४ साल रहीं। उनका ५ दिसम्बर २०१६ को अपोलो अस्पताल में लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद दो मंजिला वेदा निलयम को स्मारक का रूप देने की मांग उठी। मुख्यमंत्री ईके पलनीस्वामी ने भी इसकी घोषणा की। इसी घोषणा के अनुरूप कार्यवाही शुरू कर दी गई।
स्मारक को मूर्त रूप देने में चेन्नई जिला राजस्व विभाग, चेन्नई कार्पोरेशन और लोक निर्माण विभाग के अधिकारी जुट गए। गत बजट में इसके लिए २० करोड़ रुपए भी आवंटित किए गए। जनसुनवाई भी की गई जिसमें मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिली लेकिन सरकार ने तय कर लिया कि वेदा निलयम स्मारक बनेगा।
इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता ट्रेफिक रामास्वामी ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की यह स्मारक नहीं बनना चाहिए। याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। रामास्वामी की उठाई आपत्ति पर सरकार की ओर से बताया गया कि आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामले में बेंगलूरु की विशेष कोर्ट ने जयललिता पर १०० करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। फिर अपील में हाईकोर्ट ने सजा खारिज कर दी थी। कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिसे आला अदालत ने ठुकरा दिया था।
हाईकोर्ट ने दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति पेश करने को कहा। न्यायालय ने पूछा कि सरकारी व निजी सम्पत्तियों को स्मारक का रूप देने का क्या कोई कानूनी प्रावधान है? क्या जयललिता द्वारा बकाया आयकर है जिसका भुगतान नहीं किया गया है? क्या आयकर विभाग वेदा निलयम को स्मारक में बदलने के फैसले पर आपत्ति रखता है? इन सवालों के जवाब २४ जनवरी तक पेश करने के निर्देश देते हुए सुनवाई टाल दी।
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