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ओबीसी छात्रों के लिए ऑल इंडिया कोटा तय करने के लिए पैनल गठित करे केंद्र: हाईकोर्ट

locationचेन्नईPublished: Jul 27, 2020 04:14:19 pm

Submitted by:

Vishal Kesharwani

मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को केंद्र, तमिलनाडु सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के प्रतिनिधियों को शामिल कर एक समिति का गठन करने का निर्देश दिया।

ओबीसी छात्रों के लिए  ऑल इंडिया कोटा तय करने के लिए पैनल गठित करे केंद्र: हाईकोर्ट

ओबीसी छात्रों के लिए ऑल इंडिया कोटा तय करने के लिए पैनल गठित करे केंद्र: हाईकोर्ट


चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को केंद्र, तमिलनाडु सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के प्रतिनिधियों को शामिल कर एक समिति का गठन कर पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के छात्रों को मेडिकल प्रवेश में ऑल इंडिया कोटा (एआईक्यू) के तहत आरक्षण प्रदान करने के मुद्दे पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। अगले तीन महीने के अंदर कमेटी का गठन किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश एपी शाही और न्यायाधीश सेंथिलकुमार रामामूर्ति ने स्पष्ट किया कि समिति द्वारा लिए जाने वाले निर्णय आगामी शैक्षणिक वर्ष से ही मान्य होंगे।

 

एआईक्यू सीटों में ओबीसी छात्रों को आरक्षण प्रदान करने में किसी प्रकार का कानूनी रोक नहीं है की ओर इशारा करते हुए बेंच ने कहा यह तय कानून के मद्देनजर आरक्षण प्रदान करने का सकारात्मक आदेश नहीं है क्योंकि मौलिक अधिकार प्रभावित होने तक अदालतें सरकार के नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं। कोर्ट ने कहा आरक्षण कानूनी और मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार, डीएमके, एआईएडीएमके और पीएमके समेत अन्य राजनीतिक दलोंं द्वारा केंद्र के मेडिकल प्रवेश के लिए एआईक्यू में ओबीसी आरक्षण प्रदान नहीं करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान आदेश पारित किया।

 

याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने यह भी पाया कि मेडिकल प्रवेश के लिए एआईक्यू सीटों में ओबीसी आरक्षण प्रदान करने के लिए केंद्र किसी भी प्रकार का कानून पारित कर सकता है। राज्य के एडवोकेट जनरल विजय नारायण ने कहा कि एमसीआई कहता है कि मेडिकल कॉलेजों में सीटों का आरक्षण राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रचलित कानूनों के अनुसार है। यह बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि केंद्र इस बात से अवगत है कि तमिलनाडु में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण 69 प्रतिशत है।

 

उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्य में उच्च प्रतिशत आरक्षण की आवश्कता है तो आरक्षण 50 फीसदी से अधिक हो सकता है। डीएमके की ओर से वरिष्ठ वकील पी. विल्सन ने कहा केंद्र सरकार द्वारा लगातार ओबीसी के साथ भेदभाव जारी है। राज्य ने पिछले चार सालों में 3580 पीजी सीटों का आत्मसमर्पण किया हैं जिसमें 2729 सीट ओबीसी के थे।

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