न्यायाधीश एन. कृपाकरण और न्यायाधीश आर. हेमलता की न्यायिक पीठ ने एडवोकेट सूयप्रकाशम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की।
वीडियो कांफेंरसिंग से हुई सुनवाई में तमिलनाडु डीजीपी के अधिवक्ता प्रताप कुमार पेश हुए तथा सांगली एसपी को नोटिस जारी करने की अनुमति मांगी। उस आधार पर जवाबी नोटिस जारी कर दिए गए।
याची ने कहा कि रोजी-रोटी के लिए ग्रामीण इलाकोंं से शहरों में पलायन कर चुके लाखों की संख्या में मजदूर देश के कई राज्यों में लॉक डाउन की वजह से फंसे हैं। आलीशान भवनों व इमारतों के निर्माण में लगे इन मजदूरों को रातों-रात उनके कार्यस्थल से बेदखल करने और अमानवीय दशाओं में बसे होने की खबरें सुर्खियों में है। लॉक डाउन की वजह से उनके पास यातायात का कोई साधन नहीं है।
याची ने निजी टीवी चैनल की ५ मई को प्रसारित रिपोर्ट के आधार पर दावा किया कि तमिलनाडु के गणेशन सहित ४०० श्रमिक महाराष्ट्र के सांगली जिले के कुपवाड़ में अवैध रूप से बंदी रखे गए हैं। इस रिपोर्ट में श्रमिक आरोप लगा रहे हैं कि सरकारी नुमाइंदे घ्ज्ञक्र वापसी की अनुमति देने के लिए प्रति व्यक्ति ३५०० रुपए मांग रहे हैं।
याची ने इस कृत्य को अमानवीय बताते हुए हाईकोर्ट से गुजारिश की कि सभी श्रमिकों को अदालत के सामने पेश किए जाने के निर्देश जारी किए जाएं।