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तटीय क्षेत्रों में अवैध इमारतों को गिराने से नहीं रोका जा सकता, हाइकोर्ट की टिप्पणी

locationचेन्नईPublished: Jan 17, 2021 11:46:39 am

तटीय क्षेत्रों में अवैध इमारतों को गिराने से नहीं रोका जा सकता- हाइकोर्ट की टिप्पणी

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चेन्नई. मद्रास हाइकोर्ट ने कोटिट्वाक्कम में एक अनाधिकृत व्यावसायिक इमारत के गिराने पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए कहा कि तटीय इलाकों में अवैद्य इमारतों को को गिराने से नहीं रोका जा सकता है। अदालत ने कहा कि कोस्टल जोन में वैधानिक अधिकारियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियों के संबंध में न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है।
न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन व एए नक् कीरन की खंडपीठ ने कहा, याचिकाकर्ताओं ने कानून के तहत स्थापित प्रक्रियाओं के उल्लंघन में, जमीन के अतिरिक्त दो अतिरिक्त मंजिलों के रूप में पूरी तरह से अनधिकृत निर्माण शुरू कर दिया है जिसका इस्तेमाल व्यावसायिक रूप में किया जाना है। चेन्नई मेट्रो महानगर विकास प्राधिकरण (सीएमडीए) द्वारा 10 फरवरी, 2020 को कोटिवाक्कम में निर्मित इमारत को सील करने पर ए मुतुमलै और एम महालक्ष्मी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उन्होंने 1981 में संपत्ति खरीदी थी और 1995 में अनुमोदन के लिए आवेदन किया था। हालांकि उनकी मंजूरी अस्वीकार कर दी गई थी। इसके बाद, 1999 में उन्होंने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट के तहत एक नियमितीकरण योजना के माध्यम से निर्माण को नियमित करने के लिए आवेदन किया, जो अभी भी लंबित है। याचिका में आरोप लगाया कि याचिका के लंबित होने के बावजूद सीएमडीए ने इमारत को सील कर दिया।
तय कानूनी आदेश का पालन
उधर सीएमडीए ने कहा कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट की धारा 13-ए के तहत नियमितीकरण के लिए कोई आवेदन दायर नहीं किया गया था। सीएमडीए ने कहा कि यह इमारत पूरी तरह से अनाधिकृत निर्माण है। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का हवाला दिया, जो अनाधिकृत निर्माणों को हटाने में संबंधित व्यक्तियों के गैरकानूनी कामों पर आधारित थे। अदालत ने कहा कि वैधानिक प्राधिकारियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियों के संबंध में न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है। इसमें तय कानूनी आदेश का पालन किया गया है। इसमें कोई त्रुटि या दुर्बलता नहीं पाई गई है।
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