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राष्ट्रीय चेतना और संस्कृति की खुशबू हैं हमारी भाषाएं

locationचेन्नईPublished: Sep 12, 2018 05:54:08 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

एसआरएम में हिन्दी दिवस समारोह

Hindi Day celebrations at SRM

राष्ट्रीय चेतना और संस्कृति की खुशबू हैं हमारी भाषाएं

चेन्नई. भाषा केवल अभिव्यक्ति नहीं हमारी सांस्कृतिक चेतना है। यह राष्ट्र के प्रति लगाव की पहचान है। उन्नत राष्ट्र केवल तकनीक से नहीं अपनी भाषाओं की समृद्धि से पहचान बनाते हैं। हमें भी हिंदी के साथ भारतीय भाषाओं के प्रति लगाव से देश को भावनात्मक रूप से मजबूत करना चाहिए। तमिल हो या अन्य भारतीय भाषाएं, ये भारत की विविधताओं की खुशबू से भरा गुलदस्ता है। इनकी विविधताओं में भी हजारों साल की एकता की संस्कृति बसी है। हम संपर्क भाषा के रूप में हिंदी को इतनी समृद्ध करें कि हिंदी दिवस मनाने की जरूरत ही न रह जाए। हमारी भाषाएं हमारी भावानाओं में रची बसी रहे।
एसआरएमआईएसटी के हिंदी विभाग और सृजन लोक पत्रिका आरा द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह के शुभारंभ के अवसर पर एसआरएमआईएसटी के कुलपति प्रो. संदीप संचेती ने ये विचार व्यक्त किए। मुख्य अतिथि प्रो. बी.एल. आच्छा ने कहा तकनीक की दुनिया भौतिक विकास का परचम लहरा सकती है। भावों की दुनिया के बगैर जीवन सूना है। इतनी समृद्धि के बाद भी तनाव और अकेलापन शोर मचा रहा है। विभिन्न भाषाओं में रचा जा रहा साहित्य केवल सांस्कृतिक पहचान ही नहीं बनाता वह हमें अपनी जमीन और संस्कृति से जोड़ता भी है। तकनीक का विकास सभ्यता की जरूरत है पर प्रेम व करुणा जैसे भाव आदमी को आदमी बनाए रखते हैं। आज वैज्ञानिकों ने न जाने कितने रसायन खोज निकाले पर प्रेम से बड़ा कोई रसायन नहीं है। वही मनुष्यता का संस्कार है। उन्होंने कहा शांति और मानवीय रिश्तों का सहकार है। साहित्य आदमी की पीड़ाओं, सपनों, संघर्षों व क्रांतिरथ को न केवल अभिव्यक्ति देता है बल्कि संघर्षों में जीने की ताकत भी देता है। इसलिए हम हिंदी और भारतीय भाषाओं को व्यवहार में समृद्ध करें ताकि हमारी राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना देश को मजबूत बनाए।
विशेष अतिथि राजस्थान पत्रिका चेन्नई के संपादकीय प्रभारी पी.एस. विजयराघवन ने कहा नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति अनुराग प्रशंसनीय है। जिन प्रतियोगियों ने हिंदी के नामवर कवियों की कविताओं का पाठ किया है और जिन्होंने सुना है वे खुद ही पहचान जाएंगे कि हमारी भावनाओं के कितने करीब हैं। हम प्रादेशिक भाषा को व्यवहार में लाएं पर राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में अपनाएं।
काव्यपाठ प्रतियोगिता में वर्षा यादव, पूजा और आरिफ खान क्रमश: पहले दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। प्रोत्साहन पुरस्कार प्रसन्ना को दिया गया। सृजनलोक प्रकाशन द्वारा -हमारे स्वर आपके शब्द कार्यक्रम में कुलपति ने प्रसिद्ध कवि, आलोचक और अनुवादक ने नीरज दइया की कविता-रचाव के रंग-राजस्थानी व हिंदी में पढ़ी। समारोह में संस्थान के निदेशक डॉ. बालसुब्रमण्यम एवं अंगे्रजी विभागाध्यक्ष डॉ शांति चित्रा भी उपस्थित थे। सहायक प्रो. प्रेमचंद के साथ ही ऋतु यादव, सेजल, सूरज, आबिदुर, अभियांश, अर्पित, अपरूपा, तनय समेत सभी विद्यार्थी संयोजकों का समारोह में सहयोग रहा। समारोह की शुरुआत विभागाध्यक्ष डॉ. एस. प्रीति के स्वागत भाषण से हुई। संचालन डॉ. रजिया व डॉ एस. इस्लाम ने आभार ज्ञापित किया।
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