यह पूरी तरह से राजनीतिक यात्रा है। प्रस्तुति का विरोध करते हुए भाजपा का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील वी. राघवचेरी ने कहा राज्य सरकार द्वारा विपक्षी दलों को इस तरह के आयोजन को लेकर अनुमति दी जा रही है लेकिन भाजपा को देने से इंकार किया जा रहा है, जो कि सरकार की दोहरी चाल के बराबर है। उन्होंने कहा कि वे जानना चाहते हैं कि थेवर जयंती के दौरान कोविड 19 प्रोटोकॉल कहा गया था? न्यायाधीश एम. सत्यनारायण और न्यायाधीश आर. हेमलता की डिवीजन बेंच ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा राहत के लिए कोर्ट में आने के बाद भाजपा को पिछले तीन दिनों तक शांत बैठ जाना चाहिए। लेकिन भाजपा ने ऐसा नहीं किया बल्कि रैली को जारी रखा। ऐसे में कोर्ट में क्या चित्रित करने की कोशिश की जा रही है। रैली में सिर्फ कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि सभी नेता भी शामिल हुए।
भाजपा तकनीकि रूप से अवैधता में समानता के लिए पूछ रही है, की ओर इशारा करते हुए कोर्ट ने कहा इस तरह के राजनीतिक कार्यक्रमों को अनुमति देते समय राज्य को संतुलित तरीके से काम करना चाहिए। कोर्ट ने भाजपा को कहा कि कोविड 19 के खतरे को नहीं भुलना चाहिए, क्योंकि यह लोगों की सुरक्षा की बात है। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि भाजपा की नर्ई याचिका को भी रद्द कर दिया गया है। जिसके बाद कोर्ट ने भाजपा को अस्वीकृति याचिका पर चुनौती देने की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए सुनवाई को 2 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि कोरोना का हवाला देते हुए सरकार ने भाजपा की प्रस्तावित रैली को अनुमति नहीं दी थी। लेकिन उसके बावजूद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एल. मुरुगन के नेतृत्व में रैली का आयोजन किया गया था। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने मुरुगन समेत कई अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बावजूद भाजपा नहीं मानी बल्कि रैली का आयोजन जारी रखा और लगातार गिरफ्तारी होती रही।