सेमी क्रॉयोजनिक इंजन का करेंगे इस्तेमाल
इसके लिए एक छोटे तीन चरणों वाले रॉकेट और सेमी क्रॉयोजनिक इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा। यह रॉकेट मानव शरीर के अवशेषों से भरे मॉड्यूल को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करेगा। अग्निकुल के सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन के अनुसार यह थोड़ा अलग लॉन्च होगा लेकिन अगर रॉकेट की दृष्टिकोण से देखें तो यह एक जैसा ही है। आपको एक सैटलाइट की जरूरत होगी जिसमें इसे रखा जा सकेगा। कंपनी तीन चरणों वाला रॉकेट बना रही है जो लिक्विड ऑक्सीजन और केरोसीन इंजन की मदद से चलेगा।
जाएगा 600 किमी की ऊंचाई पर
कंपनी ने बताया कि यह रॉकेट 100 किलोग्राम का पेलोड लेकर पृथ्वी की निचली कक्षा में 600 किमी ऊंचाई पर ले जा सकेगा। वर्ष 2021 में रॉकेट के तैयार हो जाने के बाद अवशेषों को अंतरिक्ष में भेजने का पहला टेस्ट किया जाएगा। रविचंद्रन ने कहा कि यह परीक्षण अमेरिका के निजी अंतरिक्ष एजेंसी स्पेसएक्स के जून 2019 में हुए मिशन की तरह से होगा। इसके तहत स्पेसएक्स 152 लोगों के अवशेषों को लेकर अंतरिक्ष में गया था। अग्निकुल कॉसमॉस कंपनी एक किलोग्राम पेलोड के लिए 10.6 लाख रुपए लेने पर विचार कर रही है। वही अमेरिकी कंपनी सेलेस्टिस एक ग्राम के लिए करीब 5 हजार डॉलर लेती है। कॉसमॉस का मानना है कि उनका रेट दुनिया में सबसे सस्ता होगा। आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर एसआर चक्रवर्ती ने कहा कि अंतरिक्ष से पटाखे फोडऩे के आइडिया पर भी काम कर रहे हैं जिसे पूरे देश में देखा जा सकेगा।