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जलस्रोतों को पवित्र स्थल माना जाए, जलस्रोतों के बिना मानव जीवन संभव नहीं

locationचेन्नईPublished: Jan 07, 2021 07:17:09 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

सभी जीवराशियों के लिए जलस्रोत ही जीवन रेखा है, ऐसे में किसी भी जलस्रोत पर अतिक्रमण को सहन नहीं किया जा सकता : मद्रास हाईकोर्ट

जलस्रोतों को पवित्र स्थल माना जाए, जलस्रोतों के बिना मानव जीवन संभव नहीं

जलस्रोतों को पवित्र स्थल माना जाए, जलस्रोतों के बिना मानव जीवन संभव नहीं

चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट का कहना है कि जलस्रोतों के बिना मानव जीवन असंभव है। इनको पवित्र स्थल माना जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथिल कुमार राममूर्ति की पहली पीठ ने मंगलवार को उक्त विचार के साथ कहा कि सभी जीवराशियों के लिए जलस्रोत ही जीवन रेखा है। ऐसे में किसी भी जलस्रोत पर अतिक्रमण को सहन नहीं किया जा सकता। प्रथम पीठ नीलगिरि जिले में जलस्रोतों पर अतिक्रमण हटाने से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि सरकार को अतिक्रमण हटाने के कड़े उपाय करने होंगे।

एक इंच भी अतिक्रमण नहीं रहे

हाईकोर्ट ने नीलगिरि जिला कलक्टर को निर्देश दिए है वे अतिक्रमण हटाने को लेकर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर पेश करें। साथ ही सुनिश्चित करें कि इदालर गांव के जलस्रोत पर एक इंच भी अतिक्रमण नहीं रहे।

यह है मामला

इदालर गांव के याची के. रमेश कुमार ने कहा कि उनका गांव नीलगिरि की तलहटी का छोड़ा सा गांव है जहां डेढ़ सौ परिवार हैं। ग्रामीण छोटे स्तर पर चाय उगाते हैं। पानी की कमी को देखते हुए 1980 में तत्कालीन सरपंच ने जिला प्रशासन की अनुमति से अरेहल्ला में स्थित दो एकड़ के सरकारी भूखंड को जलस्रोत में विकसित किया। तीन दशकों से यह जलस्रोत गांव की प्यास बुझाने का एकमात्र साधन बना हुआ है। लेकिन इसके पास के भू-मालिकों ने जलस्रोत पर अतिक्रमण शुरू कर दिया। अब अतिक्रमित जमीन पर दीवार बना दी गई है तथा अवैध तरीके से पानी का खनन भी करने लगे। लिहाजा गांव के लोगों पर जलसंकट मंडराने लगा है। 2013 में जिला प्रशासन की नजर में यह मामला लाया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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