scriptसमुद्र के पानी से बनेगा हाइड्रोजन ईंधन, दौड़ेंगी बाइक और कारें | Hydrogen fuel will be made from sea water | Patrika News

समुद्र के पानी से बनेगा हाइड्रोजन ईंधन, दौड़ेंगी बाइक और कारें

locationचेन्नईPublished: Jan 16, 2020 10:12:32 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

IIT Madras ने विकसित की इको फ्रेंडली प्रौद्योगिकी, इस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से प्रयोग के समय मांग के आधार पर हाइड्रोजन का उत्पादन होगा और ऐसे में इसको स्टोर करने की जरूरत नहीं होगी।

समुद्र के पानी से बनेगा हाइड्रोजन ईंधन, दौड़ेंगी बाइक और कारें

समुद्र के पानी से बनेगा हाइड्रोजन ईंधन, दौड़ेंगी बाइक और कारें

चेन्नई. आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा इको फ्रेंडली तरीका विकसित किया है जिससे समुद्री जल से हाइड्रोजन ईंधन बनाया जा सकेगा। शोधकर्ताओं ने एक ऐसी प्रौद्योगिकी का विकास किया है जिसका उपयोग कर समुद्रीजल से हाइड्रोजन ईंधन बनाया जा सकेगा। इससे भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा में योगदान हो सकता है। इस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से प्रयोग के समय मांग के आधार पर हाइड्रोजन का उत्पादन होगा और ऐसे में इसको स्टोर करने की जरूरत नहीं होगी। यह हाइड्रोजन से जुड़ी भंडारण संबंधी चुनौतियों से निजात दिलाएगा।

शोधकर्ताओं के अनुसार हाइड्रोजन अधिक ज्वलनशील होता है और यह धमाके का कारण हो सकता है। भविष्य के लिए हाइड्रोजन ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत हो सकता है। जीवाश्म ईंधन की तरह हाइड्रोजन के जलने से कार्बन डाइआक्साइड पैदा नहीं होती है। यह ऊर्जा का स्वच्छ स्रोत है। वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण स्तर में वृद्धि पर विचार करते हुए शोधकर्ताओं का लक्ष्य है कि कारों एवं बाइक को हाइड्रोजन पावर का उपयोग कर समुद्री जल से चलाया जाए।

आईआईटी मद्रास में रसायन विभाग के अब्दुल मलिक के अनुसार हाइड्रोजन का उत्पादन उपयोग के समय मांग के आधार पर किया जा सकता है। ऐसे में हाइड्रोजन के भंडारण एवं परिवहन से जुड़े सुरक्षा के मुद्दों से बचा जा सकेगा। मलिक के अनुसार शुरुआती ठोस पदार्थ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत आसानी से लाया ले जाया जा सकता है। यह हाइड्रोजन क्षेत्र से जुड़े परिवहन की अड़चनों को दूर करता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार हाइड्रोजन का उत्पादन बिना उष्मा, सूर्य के प्रकाश एवं बिजली के बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। स्टार्टिंग मेटेरियल्स सभी इको फ्रेंडली हैं। उत्पादन के सभी पैमानों पर यह प्रक्रिया जवाबदेह है जो हाइड्रोजन इकोनोमी के लिए प्रासंगिक है। ऐसे में मोटरवाहन, विमानन जैसे क्षेत्र इस प्रौद्योगिकी से लाभान्वित होंगे। उन्होंने बताया कि हाईड्रोजन भविष्य है। हम चाहते हैं कि इसे वर्तमान बनाया जाए। हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब हमारा आवष्किार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के रॉकेट को या रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के मिसाइल को ईंधन देगा।

आईआईटी मद्रास के एसोसिएट प्रोफेसर तिजू थामम ने कहा कि वे वाहनों के लिए उचित हाइड्रोजन प्रणाली को अनुकूल एवं डिजाइन करने के रास्ते पर हैं। हम वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र के लिए हल मुहैया कराने के लिए तत्पर हैं।इस प्रौद्योगिकी का उपयोग पर जल के किसी भी स्रोत से हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकेगा। समुद्री जल पृथ्वी सतह के तीन चौथाई भाग को कवर करता है ऐसे में शोधकर्ता इसका उपयोग करने को लेकर उत्सुक हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार इसका सेटअप एक बटन के दबाने के साथ ही ईंधन का उत्पादन शुरू कर देगा जो एक डिब्बे से दूसरे में जल भेजेगा। जल को जोडऩे के दर से हाइड्रोजन का उत्पादन एवं बहाव की मात्रा को निंयत्रित किया जा सकेगा। यह जरूरत पर निर्भर करेगा। इसकी तकनीकी जानकारी पेटेंट संरक्षित है। यह प्रक्रिया स्केलेबल है और जरूरत के अनुसार इसकी मात्रा का उत्पादन किया जा सकता है। ऐसे में कारों की मोबिलिटी के लिए हाइड्रोजन यथोचित अनुकूलन के माध्यम से संभव है।

शोधकर्ताओं के अनुसार वाणिज्यिक पद्धति के लिए अधिक तापमान करीब 1,000 डिग्री सेल्सियस तथा दाब लगभग 25 बार की जरूरत होती है। हालांकि नई प्रक्रिया कमरे के तापमान तथा वायुमंडल के दाब ( जो 1 बार है) पर कार्य करती है। हमारे वर्तमान अनुमान संकेत देते हैं कि इसकी लागत की उपलब्ध कीमतों से तुलना होगी। इससे चीजें बड़े पैमाने पर बदलेंगी। महत्वपूर्ण सेलिंग प्वाइंट बढ़ी हुई सुरक्षा तथा पर्यावरण का प्रदूषण मुक्त होना होगी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो