script– ना मैं करुणानिधि, ना उनकी तरह बोल सकता हूं~स्टालिन | I am not Kalaignar, I cant match his mastery over the language- stalin | Patrika News

– ना मैं करुणानिधि, ना उनकी तरह बोल सकता हूं~स्टालिन

locationचेन्नईPublished: Aug 29, 2018 02:04:40 pm

Submitted by:

P S VIJAY RAGHAVAN

पार्टी नेतृत्व के नियंत्रण में रहें, नेतृत्व उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा : स्टालिन- पिता की शैली में दिया पहला अध्यक्षीय भाषण
 

president,Leader,stalin,

– ना मैं करुणानिधि, ना उनकी तरह बोल सकता हूं~स्टालिन

चेन्नई. सर्वसम्मति से पार्टी के दूसरे अध्यक्ष बने एम. के. स्टालिन ने मंगलवार को पचास साल तक इस पद पर रहे अपने पिता एम. करुणानिधि के अंदाज में पहला भाषण दिया। उन्होंने पिता के संवाद में एक शब्द का बदलाव करते हुए बोले मेरे प्राणों से भी बढक़र प्रिय करुणानिधि के भाइयों…। करुणानिधि अपने भाषण की शुरुआत में मेरे प्राणों से भी बढक़र प्रिय भाइयों… के रूप में करते थे।
डीएमके महापरिषद की बैठक पार्टी मुख्यालय अण्णा अरिवालयम में हुई जिसमें पार्टी महासचिव के. अन्बझगन समेत अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। बैठक में सर्वसम्मति से स्टालिन की बतौर अध्यक्ष ताजपोशी हो गई। उनके अध्यक्ष बनने के बाद स्टालिन को बधाई देने वालों का तांता लग गया। राज्य के विभिन्न दलों के नेताओं ने उनको शुभकामनाएं दीं। इनमें एमडीएमके महासचिव वाइको, डीके अध्यक्ष के. वीरमणि, वीसीके महासचिव तोल तिरुमावलवन, भाकपा नेता मुत्तअरसन, कांग्रेस नेता एस. तिरुणावकरसु और आरकाट नवाब मोहम्मद अब्दुल अली समेत अन्य शामिल थे।
सीधे अध्यक्ष नहीं बने हैं स्टालिन
इसके बाद वरिष्ठ नेताओं ने भाषण दिए और स्टालिन को नेतृत्व संभालने की बधाई दी। नए कोषाध्यक्ष बने दुरै मुरुगन ने कहा कि वे सीधे अध्यक्ष पद पर नहीं आए हैं। करीब तीस साल से वे पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। बतौर कोषाध्यक्ष उनको भूमिका याद दिलाने वाले दयानिधि मारन पर भी उन्होंने चुटकी ली कि कोषाध्यक्ष का कार्य कलेक्ट करना होता है…। महापरिषद में देने वालों की संख्या कम है। लेकिन वे सन समूह के दयानिधि मारन के आगे झोली फैलाकर बड़ी राशि चंदे के रूप में लेने को तैयार हैं। उनके इस संवाद से पूरे माहौल में हंसी की लहर दौड़ पड़ी।
कोशिश से पीछे हटने वाला नहीं
अंत में स्टालिन ने संबोधन दिया और पिता के संवाद के साथ शुरुआत की जिस पर पूरा सभागार तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने कहा, मैं करुणानिधि नहीं हूं। उनकी तरह भाषण देना भी नहीं आता है। भाषा पर भी पूरा अधिकार नहीं है। लेकिन हर कार्य को पूरा करने की कोशिश करने वाली भावना और इच्छाशक्ति रखता हूं। करुणानिधि के पुत्र के बजाय पार्टी कार्यकर्ता कहलाना ज्यादा पसंद करूंगा। करुणानिधि भी चाहते थे कि सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ें।
नए स्टालिन का जन्म
स्टालिन ने जोश भर अंदाज में कहा कि आप जो देख रहे हैं वह नए स्टालिन का जन्म है। यह एक नया दिन है। डीएमके और तमिलनाडु को एक नए भविष्य की ओर ले जाऊंगा। जो भी गलती करेगा उसके खिलाफ संयुक्त आवाज उठाएंगे। डीएमके के सपने को कोई एक व्यक्ति पूरा नहीं कर सकता है। मैं यह नहीं कहता कि मैं आगे चलता हूं आप मेरा अनुसरण करें बल्कि एक साथ चलने का आह्वान करता हूं। यह अपील लहर फैलाने के लिए नहीं बल्कि आग को पार करने के लिए है। मैंने पार्टी अध्यक्ष बनने के बारे में कभी नहीं सोचा था। नेतृत्व के नियंत्रण में आप सब चलें। नेतृत्व भी आपकी अपेक्षाओं के अनुरूप होगा।

ट्रेंडिंग वीडियो