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ऊसर जमीन से निकलेगी दामिनी तो रोशन होगी ग्राम्य अर्थव्यवस्था

locationचेन्नईPublished: Jan 12, 2022 10:30:37 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

-ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जान डाल सकता है कृषि के साथ साथ बिजली उत्पादन
-एग्रोवोल्टेइक में भूमि क्षेत्र का उपयोग फोटोवोल्टिक बिजली उत्पादन और कृषि कार्य के लिए
-देश में 11 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि खराब अवस्था में

ऊसर ज़मीन से निकलेगी दामिनी तो रोशन होगी ग्राम्य अर्थव्यवस्था

ऊसर ज़मीन से निकलेगी दामिनी तो रोशन होगी ग्राम्य अर्थव्यवस्था

चेन्नई.

कृषि के साथ साथ बिजली का उत्पादन देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकता है। जो भूमि कृषि के लिए कम उपयोगी है उस पर कृषि वोल्टिक का उपयोग इकोनोमी के लिए रामबाण की तरह है। सौर पैनलों को इस तरह से लगाने से उनके नीचे खेती करने में दोहरे लाभ होते हैं। सौर पैनलों की छाया वाष्पीकरण-वाष्पोत्सर्जन को कम करती है और पानी की बचत करती है, और पैनल स्वयं अपने नीचे उगने वाले पौधों से शीतलन प्रभाव के कारण बढ़ी हुई दक्षता से लाभान्वित होते हैं। एलायंस फॉर रिवर्सल ऑफ इकोसिस्टम सर्विस थ्रेट्स ने भारत के अर्ध-शुष्क और उप-आर्द्र क्षेत्रों में 11 मिलियन हेक्टेयर खराब कृषि भूमि की पहचान की है। उद्योग जगत से जुड़े विशेषज्ञों की माने तो यदि ऐसे क्षेत्रों का उपयोग एग्रोवोल्टेइक के लिए किया जाता है, तो यह इन क्षेत्रों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदल सकता है।
1000 मिमी या उससे कम वर्षा वाले क्षेत्र

सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए साल भर धूप से भरपूर खुली भूमि की आवश्यकता होती है। भारत के आधे से अधिक भूभाग धूप और अर्ध-शुष्क है, जहां हर साल 1,000 मिमी या उससे कम वर्षा होती है। यह भूमि इतनी शुष्क हैं कि वनों को भी सहारा नहीं दे सकती। वन्स (जिस पर सौर ऊर्जा का उत्पादन कर ग्रिड को दिया जाता है) पर ग्रिड-स्केल सोलर का एक वैकल्पिक समाधान सरकार की नीति में है जो सरकार ने रूफ-टॉप सोलर इंस्टॉलेशन के लिए बनाई गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार हालांकि आवासीय छतों पर ग्रिड-स्केल सौर को लागू करने में चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर पर्याप्त ऐसे स्थान जो पहले से ही औद्योगिक उद्देश्यों के लिए निर्मित या नामित किए गए हैं वहां सौर ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव है। ये औद्योगिक क्षेत्र बिजली के प्रमुख उपभोक्ता हैं और ऐसे स्थानीय उत्पादन और उपयोग से ट्रांसमिशन घाटे में कमी आएगी। सार्वजनिक भवनों की छतें भी सौर प्रतिष्ठानों के लिए एक शानदार अवसर प्रदान कर सकती हैं, जो कुछ शहरों में रेलवे स्टेशनों के साथ किया गया है।
परियोजनाओं की स्थापना पर अधिक ध्यान देने की जरूरत

अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं अच्छी तरह से अर्थपूर्ण हैं और जीवाश्म ईंधन पर आधारित ऊर्जा अर्थव्यवस्था पर हमारी निर्भरता को कम करना चाहती हैं। ऐसे में इन परियोजनाओं को कैसे और कहां स्थापित किया जाता है, इस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
उदय मेहता

पार्टनर

आदित्य एनर्जी होल्डिंग।

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