कर्ज का स्तर लगातार बढ़ रहा है। भारत के अन्य राज्यों में भी उधार लिया जा रहे है और वे सभी निवेश के ऋण हैं। लेकिन यहां राजस्व की कमी को ठीक करने के लिए ऊंची ब्याज दर पर उधार लिया जा रहा है।
तमिलनाडु का राजस्व घाटा 3.16 फीसदी बताया-उन्होंने कहा, वित्त मंत्री पीटीआर पलनीवेल त्यागराजन ने तमिलनाडु की वित्तीय स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी किया था। इसके अनुसार 1999-2000 में इस पर 18,989 करोड़ रुपये का कर्ज था जो 2021 तक बढ़कर 5,70,189 करोड़ रुपये हो गया है।
इस प्रकार तमिलनाडु के प्रत्येक परिवार पर कुल 2,63,976 रुपये का कर्ज है। तमिलनाडु का राजस्व घाटा 3.16 फीसदी है। तमिलनाडु ने पहले कभी इतने बड़े घाटे का सामना नहीं किया है। इस बजट का चिंताजनक पहलू तमिलनाडु सरकार का बढ़ता कर्ज है। इस कर्ज को चुकाने के लिए तमिलनाडु सरकार क्या करने जा रही है, यह सवाल डीएमके सरकार के बजट में अनुत्तरित है।
डीएमके के वादों से जनता निराश
उन्होंने चुटकी ली कि इस शासन के 100 दिनों में नीट परीक्षा, आभूषण कर्जा माफी, शिक्षा ऋण रद्द करने, कृषि ऋण रद्द करने, गृहिणियों के लिए 1000 रुपये, डीजल और पेट्रोल की कीमतों जैसे सभी वादों से लोग निराश हैं।
उन्होंने चुटकी ली कि इस शासन के 100 दिनों में नीट परीक्षा, आभूषण कर्जा माफी, शिक्षा ऋण रद्द करने, कृषि ऋण रद्द करने, गृहिणियों के लिए 1000 रुपये, डीजल और पेट्रोल की कीमतों जैसे सभी वादों से लोग निराश हैं।
डीएमके इन वादों की विफलता में खराब वित्तीय स्थिति को दोषी ठहराती है जबकि विधानसभा की शताब्दी पर पड़ोसी राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अखबारों में पूरे पृष्ठ के विज्ञापन दिए गए।
तमिलनाडु सरकार, जो यह दावा करती है कि सरकार के पास जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए पैसे नहीं हैं, अन्य राज्यों में, अन्य भाषाओं में, करोड़ों रुपये की लागत से पूरे पृष्ठ के विज्ञापन कर रही है। इस तरह प्रचार करने की क्या जरूरत है?