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चेन्नई

आइआइटी मद्रास एलुमनी एसोसिएशन ने लांच किया मास्टरक्लास

आइआइटी मद्रास एलुमनी एसोसिएशन ने लांच किया मास्टरक्लास- कोविड-19 महामारी से हालात सामान्य करने में करेगा मदद- ग्लोबल इवेंट संगम-2020 दिसम्बर के पहले सप्ताह में

चेन्नईNov 03, 2020 / 09:28 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

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चेन्नई. आइआइटी मद्रास एलुमनी एसोसिएशन ने कोविड-19 महामारी के दौरान सामान्य स्थिति में आने के लिए भारतीयों खासकर प्रोफेशनल व छात्रों की मदद के लिए मास्टरक्लास लांच किया है। यह निशुल्क उपलब्ध करवाया गया है। यह एसोसिएशन की वार्षिक फ्लेगशिप ग्लोबल इवेंट “संगम-2020” का हिस्सा होगा। यह वर्चुअल आयोजन 1 से 6 दिसम्बर 2020 तक होगा। इसके तहत यह बताने का प्रयास किया गया है कि मौजूदा महामारी के दौर में बिजनेस व खुद को किस तरह एक अवसर के रूप में विकसित कर सकें। इसके साथ ही एसोसिएशन की ओर से भारत एवं विदेश में केन्द्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के साथ मिलकर यूनिक सर्वे किया जा रहा है जिसके तहत विज्ञान एवं तकनीकी को काम में लेते हुए कैसे नॉर्मल हालात में आएं।
चुनौतियों से निपटने में मदद
आइआइटी मद्रास एलुमिनी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कृष्णन नारायणन ने बताया कि यह मास्टरक्लास किस तरह से कम करेगा और कैसे समुदाय को फायदा पहुंचाएगा। नारायणन जो संगम-2020 के समन्वयक भी है ने कहा कि संगम-2020 फिर से सामान्य हालात में आने की स्थिति है। आइआइटी मद्रास एलुमिनी के फेसबुक के आधार पर मास्टरक्लास तैयार किया गया है। कोरोना महामारी ने हमारे जीवन को प्रभावित किया है। मास्टरक्लास के जरिए उन चुनौतियों से निपटने एंव आगे बढ़ने के बारे में बताया गया है।
कई हस्तियों से बातचीत के बाद तैयार
संगम-2020 में विश्व स्तरीय हस्तियों के साथ बातचीत के बाद तैयार किया है। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धै, केन्द्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन, इन्फोसिस के को-फाउंडर कृष गोपालकृष्णन, यूके कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सर मार्क वेलैण्ड, नान्याग तकनीकी विश्वविद्यालय सिंगापुर के अध्यक्ष प्रोफेसर सुब्र सुरेश एवं जोहो कॉर्पोरेशन के सीईओ व संस्थापक श्रीधर वेम्बु से बात की गई।
विज्ञान व तकनीकी में मिलेगी मदद
संगम-2020 के सह समन्वयक प्रोफेसर सीरम रामाकृष्णन ने बताया कि संगम-2020 में सर्वे देश के विकास में किस तरह की भूमिका निभाएगा। सर्वे मे विज्ञान एवं तकनीकी को लेकर विश्व में लगभग एक समान बातें सामने आई है। लेकिन भारत में संभवत इस सर्वे से विज्ञान एवं तकनीकी को लेकर कई तरह की नई जानकारी सामने आ सकती है। इससे देश के आर्थिक हालात को सुधारने में मदद मिल सकेगी।

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