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चिकित्सा विज्ञान-इंजीनियरिंग को जोड़ा, भारत में पहली बार शुरू होगा चार वर्षीय प्रोग्राम

locationचेन्नईPublished: May 12, 2023 12:40:14 am

Submitted by:

Satish Sharma

आइआइटी मद्रास में चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग शुरू... चिकित्सकों में मानव शरीर के इंजीनियङ्क्षरग ²ष्टिकोण का विकास और इंजीनियरों में क्लिनिकल समझ विकसित करना लक्ष्य

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चेन्नई. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आइआइटी मद्रास) ने चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का शुभारंभ किया है। यह चिकित्सा विज्ञान और इंजीनियङ्क्षरग में चार वर्षीय बी.एस. प्रोग्राम का संचालन करेगा। यह कोर्स भारत में पहली बार शुरू किया जाएगा।
गुरुवार को विभाग के उद्घाटन में कॉग्निजेंट के सह-संस्थापक लक्ष्मी नारायणन और आइआइटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि, इस विभाग की संचालन समिति के मेडिकल क्लीनिशियंस और अन्य भागीदार मौजूद थे। यह कोर्स विभिन्न विषयों के परस्पर सहयोग का ²ष्टिकोण रखते हुए जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरण, दवा की खोज, चिकित्सा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मौलिक चिकित्सा अनुसंधान के लिए छात्रों को तैयार करेगा। यह विभाग चिकित्सकों के क्लिनिकल कार्यों में टेक्नोलॉजी के प्रभावी उपयोग करने का प्रशिक्षण देगा और भारत में चिकित्सक-वैज्ञानिक प्रशिक्षण की नींव रखेगा।
दिग्गज चिकित्सकों ने तैयार किया सिलेबस
करिकुलम तैयार करने में भारत और विदेशों के दिग्गज चिकित्सक शामिल रहे हैं जो इस विभाग में ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की जिम्मेदारी निभाएंगे। गौरतलब है कि यह विभाग पहले ही भारत के प्रमुख अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों से इस संबंध में सहयोग करार कर चुका है। संस्थान चिकित्सा के विभिन्न विषयों को जोडऩे वाले मौलिक और व्यावहारिक अनुसंधान कार्यक्रमों का भी संचालन करेगा। यह आवश्यक संसाधन और प्लेटफॉर्म प्रदान करते हुए इसके प्रति आश्वस्त है कि शोधकर्ता आने वाली पीढिय़ों के लिए मरीजों को बेहतर जिन्दगी देने में सक्षम इनोवेटिव टेक्नोलॉजी का विकास कर पाएंगे।
शुभारंभ समारोह के अपने संबोधन में आइआइटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने कहा कोविड काल में हम ने साफ तौर पर यह महसूस किया कि देश के अंदर भविष्य में ऐसे संकट से निकलने के लिए चिकित्सा विज्ञान में प्रौद्योगिकी का समावेश आवश्यक है।
तैयार होंगे चिकित्सक-वैज्ञानिक, इंजीनियर चिकित्सक
कॉग्निजेंट के सह-संस्थापक लक्ष्मी नारायणन ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा चिकित्सा विज्ञान में परस्पर सहयोग से अनुसंधान शुरू होने से भारत क्लिनिकल चिकित्सा के बेहतर परिणाम देने में दुनिया में अव्वल आ सकता है। अंतरिक्ष विज्ञान, परमाणु विज्ञान, डिजिटल और जैव प्रौद्योगिकी में हम ने अनुसंधान क्षमता और इसकी बढ़ती संभावना का प्रदर्शन किया है। ऐसे में मेडिसिन में इस क्षमता का विस्तार करना सहज ही अगला कदम है। इस अनोखी पहल का लक्ष्य एक अभूतपूर्व चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी शोध केंद्र बनाना है ताकि ‘चिकित्सक-वैज्ञानिक’ और ’इंजीनियर-चिकित्सक’ तैयार और प्रशिक्षित कर उन्हें उनके कार्य क्षेत्रों में भावी लीडर बनाया जाए। नया विभाग विभिन्न चिकित्सा विषयों को जोडऩे वाले मौलिक और व्यावहारिक अनुसंधान दोनों कार्यक्रमों का संचालन करेगा।
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