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कैंसररोधी दवा कैम्पटोथेसिन के स्रोत का विकल्प खोजा आइआइटी मद्रास ने

locationचेन्नईPublished: Feb 27, 2021 12:35:43 am

Submitted by:

Santosh Tiwari

– केवल एक टन कैम्पटोथेसिन निकालने के लिए लगभग 1,000 टन पौध सामग्री की होती है आवश्यकता

कैंसररोधी दवा कैम्पटोथेसिन के स्रोत का विकल्प खोजा आइआइटी मद्रास ने

कैंसररोधी दवा कैम्पटोथेसिन के स्रोत का विकल्प खोजा आइआइटी मद्रास ने

चेन्नई. कैंसररोधी दवा कैम्पटोथेसीन के स्रोत चीनी व भारतीय पौधे की विलुप्त होती प्रजाति के बीच आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने इसके उत्पादन के नए स्ट्रेन को खोजने में कामयाबी हासिल की है। इन पौधों के दुर्लभ व अधिक मांग होने से इनकी व्यापक स्तर पर कटाई हो रही है। शोधकर्ताओं की इस खोज से न केवल दवा उत्पादन लागत सस्ती होगी बल्कि बाजार की बढ़ती मांग को भी पूरा किया जा सकेगा।
कैम्पटोथेसिन एक एल्कलॉयड (प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रासायनिक यौगिक) है जिसे चीनी पेड़ कैम्पटोथेकैमिनुमैटा और भारतीय पेड़ नोथापोडीट्स निमोनीना से लिया जाता है। केवल एक टन कैम्पटोथेसिन निकालने के लिए लगभग 1,000 टन प्लांट मटेरियल की आवश्यकता होती है। बाजार की मांग को पूरा करने के लिए अत्यधिक उपज के कारण ये दोनों प्लांट अब गंभीर रूप से खतरे में हैं। एन. निमोनीना की संख्या में पिछले दशक में अकेले 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई है।
अनुसंधान का नेतृत्व आईआईटी मद्रास की जैवप्रौद्योगिकी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. स्मिता श्रीवास्तव ने किया। यह काम हाल ही में प्रतिष्ठित पीयर-रिव्यू इंटरनेशनल जर्नल आफ साइंटिफिक रिपोट्र्स (ए नेचर रिसर्च पब्लिकेशन) में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने बताया कि पौधों में एंडोफाइट (सूक्ष्मजीव जो पौधों के अंदर रहते हैं) होता है जो उच्च कैम्पटोथेसिन का उत्पादन करता है। हमने इस एंडोफाइट का सृजन करने वाले ३२ स्ट्रेन का पता लगाया तथा उनमें से उच्च उत्पादकता वाले स्ट्रेन (अल्टरनेरिया एसपी) को अलग किया। फिर पौधे के बाहर उत्पादन के अनुरूप वातावरण के लिए माइक्रोबियल किण्वन प्रक्रिया को अपनाया जिसे इन विट्रो प्रोडक्शन कहते हैं। इस स्टे्रन की क्षमता 100 पीढिय़ों से भी अधिक एंडोफाइट उत्पादन की है।
भारत में कैंसर
भारत को मिलाकर कैंसर दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण रहा है। एशियन पैसिफिक जर्नल ऑफ कैंसर प्रिवेंशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, ऐसा अनुमान लगाया गया है कि 2026 तक, भारत में हर साल नए कैंसर के मामले पुरुषों में 0.93 लाख और महिला रोगियों में 0.94 लाख तक पहुंचेंगे।
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