इस मामले में वार्डन ललिता देवी द्वारा दायर शिकायत पर सीआरपीसी की धारा 174 के तहत कोट्टूर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। उसने अपनी शिकायत में बताया कि वह गृहासक्त थी इसलिए उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
यह कहते हुए कि मामले की जांच केंद्रीय अपराध शाखा को सौंपी गई है, याचिकाकर्ता ने कहा कि अप्रेल 2018 से नवम्बर 2019 तक आईआईटी मद्रास परिसर में कुल 5 विद्यार्थी खुदकुशी कर चुके हैं।
यह आरोप लगाते हुए कि संस्था ने छात्रों की आत्महत्या के सिलसिले में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया, याचिकाकर्ता ने कहा कि यह रहस्य बन गया है और छात्र विंग को राज्य पुलिस पर कोई विश्वास नहीं है, इसलिए जांच सीबीआई को स्थानांतरित करना आवश्यक है।
याचिका में कहा गया है कि हालांकि राज्य पुलिस द्वारा नियुक्त विशेष टीम उचित जांच कर रही है, लेकिन विश्वसनीयता में कमी के कारण इस मुद्दे ने आम जनता में कई संदेह पैदा किए हैं और जब तक सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी इस मामले की जांच नहीं करती, तब तक सच सामने नहीं आएगा। इसलिए याचिकाकर्ता मामले की जांच सीबीआई से करने की मांग करता है।
गौरतलब है कि फातिमा लतीफ ने 9 नवंबर को हॉस्टल के अपने कमरे में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। इस मामले में मृतक छात्रा अब्दुल लतीफ ने आईआईटी मद्रास के ही प्रोफेसर पर आरोप लगाया था।