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अपनी भाषा में बोलेंगे और हो जाएगा भुगतान

locationचेन्नईPublished: May 11, 2021 06:56:12 pm

Submitted by:

Vishal Kesharwani

डिजिटल भुगतानों में अब पढऩे व लिखने के दिन शायद इतिहास हो जाएंगे। एक ग्राहक अपनी क्षेत्रीय भाषा में बोलकर भुगतान संबंधी प्रक्रिया को पूरा कर सकेगा।

IIT Madras to develop sound-based system for MFAI

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देश में डिजिटल भुगतान होगा आसान

 

चेन्नई. डिजिटल भुगतानों में अब पढऩे व लिखने के दिन शायद इतिहास हो जाएंगे। एक ग्राहक अपनी क्षेत्रीय भाषा में बोलकर भुगतान संबंधी प्रक्रिया को पूरा कर सकेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास, मोबाइल पैमेंट फोरम ऑफ इंडिया (एमपीएफआइ) के लिए ध्वनि (वॉइस) आधारित कुछ इसी तरह की प्रणाली विकसित करने में जुट चुका है। प्रणाली की कामयाबी से दूर-दराज के गांवों में बैठे कम पढ़े लिखे लोग भी डिजिटल भुगतान क्रांति से जुड़ते चले जाएंगे। कोरोना महामारी के दौर में जब कांटैक्ट फ्री भुगतान को बढ़ावा दिया जा रहा है वहां क्षेत्रीय भाषा में वॉइस आधारित भुगतान प्रणाली एक वरदान साबित हो सकती है।

 


यूपीआइ के १ करोड़ यूजर्स
देश में फिलहाल यूपीआइ (मोबाइल पर ऑनलाइन भुगतान का माध्यम) के १ करोड़ सक्रिय यूजर्स हैं। एमपीएफआइ का लक्ष्य २०२५ तक इन उपयोक्ताओं की संख्या को ५ करोड़ करना है। यह लक्ष्य तब तक हासिल नहीं हो सकता जब तक कि डिजिलट भुगतान की भाषा क्षेत्रीय नहीं हो। फोरम ने इससे एक कदम आगे जाकर यह सोचा है कि यूजर्स के मौखिक आदेशों से ही डिजिटल भुगतान होने लगे तो यह लक्ष्य जल्दी हासिल हो सकेगा। फोरम के इसी सपने को सच करने पर आइआइटी मद्रास की रिसर्च टीम काम कर रही है। गौरतलब है कि केंद्रीय बजट में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए १५०० करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

 


महामारी के दौर में जरूरी
आइआटी मद्रास के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर और एमपीएफआइ के चेयरमैन गौरव राणा ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि कोविड-१९ जोखिम प्रबंधन के दौर में डिजिटल व मोबाइल भुगतान व्यवस्था कांटैक्टलेस अवधारणा के तहत बेहद जरूरी है। क्षेत्रीय भाषाओं में मौखिक रूप से भुगतान प्रणाली की व्यवस्था विकसित करना युगांतरकारी होगी। आप अपनी भाषा में मैसेज टाइप करने के बजाय मौखिक आदेशों से भुगतान कर पाएंगे।

 

ग्राहक की डिजिटल हिस्ट्री होगी तैयार
मोबाइल पर भुगतान के माध्यम से ग्राहकों की डिजिटल हिस्ट्री तैयार होगी। उसके बाद कृत्रिम मेधा (एआइ) के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को वित्तीय सुविधाएं भी आसानी से उपलब्ध होने लगेगी।

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