scriptमहानगर में पानी की त्राहि-त्राहि | In the metropolis, the water-tragedy | Patrika News

महानगर में पानी की त्राहि-त्राहि

locationचेन्नईPublished: Apr 24, 2019 12:31:05 am

महानगर में जैसे-जैसे गर्मी का पारा बढ़ रहा है जल संकट में भी उसी अनुपात में बढ़ोतरी हो रही है। इसके चलते शहर में जलापूर्ति लगातार कम होती जा…

In the metropolis, the water-tragedy

In the metropolis, the water-tragedy

चेन्नई।महानगर में जैसे-जैसे गर्मी का पारा बढ़ रहा है जल संकट में भी उसी अनुपात में बढ़ोतरी हो रही है। इसके चलते शहर में जलापूर्ति लगातार कम होती जा रही है। लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगे हैं। वाटर टैंकरों की मांग बढ़ती जा रही है। कई इलाके तो इन वाटर टैंकरों पर ही निर्भर हैं। जल संकट का कारण गत वर्ष मानसून की कमी होना है। मानसून सीमा से कम होने के कारण महानगर को आपूर्ति करने वाले जलाशय पूंडी, चेम्बरम्बाक्कम, सोलावरम व रेडहिल्स पूरी तरह भर ही नहीं पाए। यही कारण है कि ये जलाशय अब पूरी तरह खाली हो चुके हैं और किसी में थोड़ा पानी है वह भी कुछ दिन में पूरा हो जाएगा। इसलिए महानगर में जल संकट गहरा गया है।

दूसरी ओर गर्मी का आलम यह है कि जिन लोगों के घर में बोरबेल लगे हैं उनका पानी भी निचले पायदान पर पहुंच गया है। पानी के संकट की चपेट से महानगर का सबसे बड़ा बस टर्मिनस सीएमबीटी भी अछूता नहीं रह गया है। पानी की कमी के चलते इस बस टर्मिनस के आधे शौचालयों के ताला जड़ दिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार सीएमबीटी में पिछले दो सप्ताह से पानी की घोर किल्लत चल रही है, पानी की आपूर्ति की कमी के कारण परिसर में मौजूद शौचालयों में पानी पूरा होना मुश्किल हो गया, जबकि यहां से प्रतिदिन लाखों यात्री आवाजाही करते हैं।

सूत्र बताते हैं कि पिछले सोमवार को तमिलनाडु स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन और चेन्नई मेट्रोपोलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के बीच जल समस्या का हल निकालने के लिए बैठक हुई थी, लेकिन बैठक बेनतीजा ही रही। पानी की आपूर्ति का कोई साधन नजर नहीं आया। यात्रियों को दैनिक क्रिया और शौचालयों में उपयोग करने के लिए पानी नहीं मिलता। इसके चलते यात्री इधर-उधर भटकते नजर आते हैं।

बतादें कोयम्बेडु मुफसिल बस टर्मिनस के परिसर में तमिलनाडु ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के कार्यालय समेत दर्जनों रेस्तरां और स्टॉल्स हैं जिनमें पानी की खपत अधिक होती है। बसों के ड्राइवर, कंडक्टर समेत अन्य परिवहन कर्मी भी यहां रहते हैं जो प्रतिदिन पानी का उपयोग करते हैं। जल संकट उत्पन्न होने के स्थिति में परिवहनकर्मियों समेत यात्रियों को भी पानी की कमी से दो चार होना पड़ता है।

एक बस कंडक्टर मुरुगेशन ने पत्रिका को बताया कि बस टर्मिनस के पीछे स्थित तीन शौचालय पानी के अभाव में विगत एक सप्ताह से बंद पड़े हैं। उन्होंने कहा इन शौचालयों के बंद होने का कारण पानी की आपूर्ति नहीं होना है।

गौरतलब है कि सीएमबीटी में कुल छह शौचालय है जिनमें से तीन शौचालय अंदर है और तीन बस टर्मिनस के पीछे स्थित हैं। एक यात्री अमरनाथ ने बताया कि अंदर के शौचालयों में भी पानी नियमित नहीं रहने पर कभी-कभी बंद कर दिया जाता है।

तमिलनाडु स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के कर्मचारी जीवेंद्रन ने बताया कि यह एक अनकही समस्या है जिसके बारे में यहां पर सफर कर रहे यात्री कुछ बोल नहीं सकते। उन्होंने कहा टर्मिनस के प्रवेश मार्ग पर दो पेयजल पाइंट बने हुए हैं लेकिन उनमें भी नियमित पानी की सप्लाई नहीं होती है जिससे यात्रियों को पानी खरीदने को विवश होना पड़ता है।


चार लाख लीटर की दरकार

यहां उल्लेखनीय है कि सीएमबीटी बस टर्मिनस में प्रतिदिन चार लाख लीटर से भी अधिक पानी की जरूरत होती है जबकि ( सीएमडब्ल्यूएसएसबी) मेट्रो वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड यहां महज एक लाख लीटर की ही आपूर्ति करता है। ऐसे में पानी की कमी को पूरा करने के लिए प्राइवेट टैंकरों और बोरेवेल पर निर्भर होना पड़ता है। जहां टैंकरों से १.५० लाख लीटर पानी की आपूर्ति की जाती है वहीं शेष पानी की आपूर्ति बोरवेल से की जाती है।

मेट्रो वाटर ने की ५० प्रतिशत की कटौती

खबर है कि मेट्रो वाटर सप्लाई विभाग ने कोयम्बेडु बस टर्मिनस में ५० प्रतिशत पानी की कटौती कर दी है। दूसरी ओर सीएमडीए का कहना है कि महानगर में पानी का भयंकर संकट है। निजी टैंकरों की मांग अपार्टमेंट्स और बहुमजिला इमारतों में अधिक बढ़ी है। प्राइवेट टैंकर मालिकों ने अपार्टमेंट और होटल मालिकों को मंहगे दाम पर पानी बेचते हैं इसलिए वे कोयम्बेडु बस टर्मिनस में पानी की आपूर्ति करने के प्रति उदासीन हो गए हैं।

इसके चलते यहां टर्मिनस के शौचालयोंं में पानी की कमी हो गई है। सीएमडीए के एक अधिकारी के अनुसार पिछले कुछ दिनों में बस टर्मिनस में यात्रियों की आवाजाही में ३० प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा बस टर्मिनस के अंदर लगभग २५०० से अधिक कर्मचारी नियमित रहते हैं जिनमें बस ड्राइवर, टेक्नीशियन, खलासी आदि शामिल हैं जो यहां नियमित पानी का उपयोग करते हैं। इससे पानी की खपत अधिक होती है जिसे पूरी करने का प्रयास किया जा रहा है।

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