आरटीई का दायरा १२वीं कक्षा तक बढ़ाने से बाल विवाह में आएगी कमी
चेन्नईPublished: Feb 23, 2019 02:51:39 pm
समाकल्वी अय्यकम की मांग – राज्य में बाल विवाह के खिलाफ भले ही कानून बन गया हो, शादी के लिए वैध उम्र की सीमा तय कर दी गई हो, लेकिन बाल विवाह अभी भी धड़ल्ले से हो रहे हैं।
चेन्नई. राज्य में बाल विवाह के खिलाफ भले ही कानून बन गया हो, शादी के लिए वैध उम्र की सीमा तय कर दी गई हो, लेकिन बाल विवाह अभी भी धड़ल्ले से हो रहे हैं। तमाम प्रयासों के बाबजूद हमारे देश में बाल विवाह जैसी कुप्रथा का अंत नही हो पा रहा है। ऐसे में तमिलनाडु में बच्चों के अधिकार विशेषकर बाल शिक्षा अधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ समाकल्वी अय्यकम का दावा है कि नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (आरटीई) अधिनियम का दायरा १२वीं कक्षा तक बढ़ाने पर जोर दे रही है। एनजीओ का दावा है कि आरटीई का दायरा बढ़ाने से राज्य में बाल विवाह पर लगाम लगाई जा सकती है।
समाकल्वी अय्यकम के महासचिव डा. सेल्वकुमार ने बताया कि बाल विवाह सामाजिक कुरीति है। इसको रोकने के लिए सभी को सम्मलित प्रयास करना होगा और जन जागरूकता संबंधी कार्यक्रम चलाने होंगे। बाल विवाह पर अंकुश लगाने को लेकर उन्होंने कहा कि देश में 6 से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा अधिकार अधिनियम में बदलाव कर १८ साल तक बढ़ा देना चाहिए ताकि बाल विवाह पर बड़ी चोट की जा सके। इसके अलावा प्रत्येक बच्चे को उसके निवास क्षेत्र के एक किलोमीटर के भीतर प्राथमिक स्कूल और तीन किलोमीटर के दायरे में माध्यमिक स्कूल उपलब्ध होना चाहिए।
समाकल्वी अय्यकम के अध्यक्ष जेयम ने कहा कि तमिलनाडु के दस जिले धर्मपुरी, सेलम, वेलूर, तिरुवल्लूर, चेन्नई, तिरुवण्णामलै, तिरुनेलवेली, रामनाथपुरम, दिंडीगुल और तिरुचि में अध्ययन किया गया। इन जिलों में १९-२५ आयु वर्ग की ऐसी २१० युवतियों से बातचीत की गई जिनका विवाह १८ साल की उम्र से पहले हो गया था। बातचीत से पता चला कि यह प्रथा हमारे सामाजिक जीवन के उस स्याह पक्ष कि ओर इशारा करती है, जिसे अक्सर हम रीति-रिवाज व परम्परा के नाम पर अनदेखा करते हैं। हमें अभी भी बाल विवाह के प्रति अभिभावकों और समाज में जागरूकता की आवश्यकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ६३ फीसदी बालिकाओं की शादी १६-18 वर्ष के बीच और ३७ फीसदी विवाह ११-१५ वर्ष के बीच हो जाती है। ५१ फीसदी बालिकाएं आठवीं जबकि ४८ फीसदी दसवीं कक्षा कक्षा तक पढ़ाई कर पाती हैं। ६२.४ फीसदी बालिकाएं घर के पास स्कूल न होने की स्थिति में पढ़ाई छोड़ देती हैं। बाल विवाह से भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।