हल चलाने से लेकर कई काम किए राजस्थान के अजमेर जिले के बिजयनगर में जून 1944 में सौभागमल लोढा के यहां जन्मे इंदरचंद लोढा ने गरीब परिवार में जन्म लेकर परेशानी के बीच 11वीं की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने गांव में हल चालाने से लेकर सभी काम किए। इसके बाद वर्ष 1962 में वे किसी तरह चेन्नई में रहने वाले अपनी भाई पुखराज लोढा की सलाह पर चेन्नई पहुंचे। भाई का मेंचेन्नई गिरवी की व्यवसाय था। यहां अलग रहकर दो साल नौकरी करने के बाद वर्ष 1965 में अपना गिरवी का अलग व्यवसाय लगाया। जिसे 1973 में ज्वैलरी समेत हर प्रकार की सामग्री के शोरूम में तब्दील कर दिया।
जरूरतमंदों को स्कॉलरशिप व फीस दे रहे हैं वे एसएस जैन संघ माम्बलम के गत 23 साल से सहमंत्री होने के अलावा अनेक संस्थाओं से जुड़कर सामाजिक कार्य कर रहे हैं और व्यवसाय अपने पुत्र प्रकाश लोढा को संभला दिया। उन्होंने कहा कि जैन संघ बनने के बाद सबसे पहले उन्हें जोड़ा गया। इसके बाद उन्होंने पान ब्रोकर एशोसिएशन का गठन किया जिसमें करीब 600 सदस्य कार्य कर रहे हैं। संस्था कई सामाजिक कार्य भी कर रही है। वे जरूरतमंदों को स्कॉलरशिप देेते है तथा गरीब बच्चों की फीस भी भरते हैं।