इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड और कंस्ट्रक्शन 3 डी प्रिंटिंग के विशेषज्ञ चेन्नई स्थित डीप टेक स्टार्टअप त्वस्ता मैन्युफैक्चरिंग सॉल्यूशंस ने रणनीतिक सहयोग करार कर भारतीय कंस्ट्रक्शन उद्योग में स्थायित्व के युग की शुरुआत की है। करार के तहत इंडिया सीमेंट्स और त्वस्ता विशेष शोध एवं विकास कार्य और सिनर्जी के साथ प्रौद्योगिकी-केंद्रित प्रयासों के आदान-प्रदान के माध्यम से 3डी प्रिंटिंग के कार्यों में उपयोगी नए कच्चे माल के फॉर्मूले विकसित करेंगे और समाज के विभिन्न वर्गों को किफायती और कम समय में आवास देने वाली मुख्य परियोजनाओं के लिए परस्पर रणनीतिक सहयोग देंगे।
यह अग्रणी करार भारतीय कंस्ट्रक्शन उद्योग में अपनी तरह की पहली साझेदारी है। इसका भारत के ‘राष्ट्र निर्माण की पहल के साथ अच्छा तालमेल है और इंडिया सीमेंट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर एन. श्रीनिवासन इस पहल के समर्थक हैं।
त्वस्ता ने ‘मेड इन इंडिया की तकनीक का विकास किया जो 3डी प्रिंटिंग प्लेटफ़ॉर्म पर स्वचालन और रोबोटिक्स का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित रखते हुए आम प्रचलित तकनीकों की तुलना में किफायती और स्थायी कंस्ट्रक्शन पद्धतियों पर जोर देती है। त्वस्ता की तकनीक ( कंस्ट्रक्शन 3डी प्रिंटिंग) ने ऊर्जा-सक्षम निर्माण पद्धति के रूप में अपने व्यावहारिक उपयोग का पर्याप्त प्रदर्शन किया है जिनमें अन्य क्षेत्रों के साथ आवास, स्वच्छता, बुनियादी व्यवस्था और रक्षा जैसे विभिन्न उपयोग क्षेत्र शामिल हैं।
एमओयू पर बुधवार को रूपा गुरुनाथ, पूर्णकालिक निदेशक, इंडिया सीमेंट्स और विद्याशंकर सी., सह-संस्थापक और मुख्य परिचालन अधिकारी, त्वस्ता मैन्युफैक्चरिंग सॉल्यूशंस ने हस्ताक्षर किए।
इंडिया सीमेंट्स की पूर्णकालिक निदेशक रूपा गुरुनाथ ने कहा भारत ने एक जानदार स्टार्ट-अप इको-सिस्टम का विकास कर लिया है। इसमें त्वस्ता के साथ साझेदारी करने की हमें खुशी है। यह एक तेजी से प्रगतिशील 3 डी प्रिंटिंग प्रतिष्ठान है जिसका गठन आईआईटी-मद्रास के पूर्व छात्रों ने की है। हम उत्साहित हैं कि यह तकनीक कम खर्च पर कंस्ट्रक्शन करने की पद्धति देती है जो पारंपरिक पद्धतियों से कम समय में काम पूरा करती है। यह पद्धति अधिक पर्यावरण अनुकूल है और इसमें पृथ्वी की दो सबसे अनमोल देन – पानी और रेत की खपत कम होती है।
पानी और रेत की खपत 30 प्रतिशत कम
निर्माण की 3 डी पद्धति में इसके दो बहुमूल्य संसाधनों – पानी और रेत की खपत 30 प्रतिशत कम हो जाती है। दोनों संगठन एक साथ एक नए सवेरे में कदम रखते हुए ‘डिजिटल और सस्टेनेबल’ निर्माण पद्धतियों के लिए प्रयासरत हैं और साथ ही, पूरे उद्योग जगत को इस तरह की पर्यावरण अनुकूल पद्धतियां अपनाने और अनुकूलन के लिए प्रेरित करेंगे ताकि इन प्रयासों की अहमियत बनी रहे।