वोटरों को लुभाने वाली योजनाओं से बढ़ा कर्ज
पंजाब में आप ने चुनावी वायदे में हर महिला को 1,000 रुपए महीने और हर महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने को कहा था। इससे भगवंत मान सरकार पर 17500 करोड़ रुपए अतिरिक्त भार पड़ेगा। बिजली पर हर साल 5,500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इसी तरह यूपी में भी मुफ्त एलपीजी सिलेंडर योजना पर हजारों करोड़ खर्च होंगे। बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश का भी यही हाल है।
क्या करें केंद्र और राज्य सरकारें
विशेषज्ञों मानते हैं कि बेहतर टैक्स व्यवस्था ही खुशहाली ला सकती है। जरूरतमंदों तक योजनाएं पहुंचे मगर दुरुपयोग न हो। अमेरिका और यूरोप समेत तमाम देशों में सामाजिक सुरक्षा टैक्स लिया जाता है। चीन में यह 10 तो रूस में 11 फीसदी है। इस रकम से गरीबों की मदद होती है। भारत में भी इससे गरीबों को मदद मिल सकती है।
गहलोत ने कुलकर्ज का अकेले 25 फीसदी लिया
राजस्थान में अब तक की सरकारों ने जितना कर्ज लिया उसका 25 फीसदी गहलोत ने तीन साल में लिया। राज्य पर कुल कर्ज 4 लाख 34 हजार करोड़ से ज्यादा हो चुका है। सरकार सालाना 25 हजार करोड़ रूपए का ब्याज अदा कर रही है। पुरानी पेंशन योजना और मुफ्त बिजली राज्य को और भी भयंकर कर्ज में फंसा सकती है।
आर्थिक संसाधन बढ़ाने में खर्च हो कर्ज
कर्ज तभी फायदेमंद है जब रकम का इस्तेमाल आर्थिक संसाधन पैदा करने में हो। राज्य अपने बजट का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने और मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर रहे हैं। इससे लोकप्रियता तो मिल रही लेकिन आमदनी नहीं हो रही। वैसे भी किसी राज्य पर जीएसडीपी का 20 फीसदी से ज्यादा कर्ज नहीं होना चाहिए।
– डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा, आर्थिक विशेषज्ञ, मुंबई