scriptDebt on States : मुफ्त की रेवडिय़ां बांट कंगाली के कगार पर देश के आधे राज्य | Indian states facing crisis of money due to subsidy and free scheme | Patrika News

Debt on States : मुफ्त की रेवडिय़ां बांट कंगाली के कगार पर देश के आधे राज्य

locationचेन्नईPublished: May 23, 2022 08:25:58 pm

Submitted by:

arun Kumar

Debt on States : मुफ्त बिजली, गैस सिलेंडर और पुरानी पेंशन योजना दे रही दर्द- 56 फीसदी कर्ज के साथ केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर सबसे ज्यादा कर्जदार – 53 फीसदी कर्ज ले राज्यों में पंजाब सबसे आगे, इसके बाद बंगाल, राजस्थान- 25 फीसदी कर्ज राजस्थान में अब तक के कुल कर्ज का गहलोत ने 3 साल में लिया

Debt on States : मुफ्त की रेवडिय़ां बांट कंगाली के कगार पर देश के आधे राज्य

Debt on States : मुफ्त की रेवडिय़ां बांट कंगाली के कगार पर देश के आधे राज्य


अरुण कुमार
जयपुर. देश में कोरोना महामारी के बाद कई राज्यों ने जनता को सब्सिडी Subsidy और मुफ्त योजनाओं Free schemes की रेवडिय़ां बांटकर खुद को कंगाली के कगार पर खड़ा कर दिया है। बेरोजगारी unemployment और बढ़ती महंगाई के बीच अब इन वोट बटोरने वाली योजनाओं पर नई बहस छिड़ गई है। पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्य कर्ज के मकड़ जाल में फंसे हैं। अगर इन राज्यों को केंद्र मदद न करे तो हालात श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे हो सकते हैं। आर्थिक विशेषज्ञ लगातार केंद्र को कृषि और स्वास्थ्य योजनाओं में सब्सिडी धीरे-धीरे कम करने और मुफ्त की योजनाओं पर प्रतिबंध की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि कंठ तक कर्ज में डूबे ये राज्य Debt on States आय का आधे से ज्यादा हिस्सा कर्ज चुकाने में खर्च कर रहे हैं।
रिजर्व बैंक के मुताबिक पंजाब ने पिछले कुछ साल में केवल 5 फीसदी रकम आर्थिक संसाधन बनाने में खर्च की जबकि 45 फीसदी से अधिक रकम कर्ज की किस्तों में जमा की। आंध्र प्रदेश ने 10 फीसदी रकम आर्थिक संसाधनों पर जबकि 25 फीसदी कर्ज अदायगी में खर्च की। बाकी राज्यों का भी यही हाल है।
राज्यों पर औसतन राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 31.3 फीसदी कर्ज है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पर उसकी जीएसडीपी का 56.6 फीसदी तो पंजाब पर रिकॉर्ड 53.3 फीसदी कर्ज है। इसके बाद राजस्थान 39.8 फीसदी, पश्चिम बंगाल 38.8 फीसदी, केरल 38.3 फीसदी, आंध्र प्रदेश 37.6 फीसदी कर्ज है। बड़े राज्यों में सिर्फ गुजरात 23 फीसदी और महाराष्ट्र 20 फीसदी कर्ज के साथ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) लक्ष्य 20 फीसदी के करीब हैं।

वोटरों को लुभाने वाली योजनाओं से बढ़ा कर्ज
पंजाब में आप ने चुनावी वायदे में हर महिला को 1,000 रुपए महीने और हर महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने को कहा था। इससे भगवंत मान सरकार पर 17500 करोड़ रुपए अतिरिक्त भार पड़ेगा। बिजली पर हर साल 5,500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इसी तरह यूपी में भी मुफ्त एलपीजी सिलेंडर योजना पर हजारों करोड़ खर्च होंगे। बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश का भी यही हाल है।

क्या करें केंद्र और राज्य सरकारें
विशेषज्ञों मानते हैं कि बेहतर टैक्स व्यवस्था ही खुशहाली ला सकती है। जरूरतमंदों तक योजनाएं पहुंचे मगर दुरुपयोग न हो। अमेरिका और यूरोप समेत तमाम देशों में सामाजिक सुरक्षा टैक्स लिया जाता है। चीन में यह 10 तो रूस में 11 फीसदी है। इस रकम से गरीबों की मदद होती है। भारत में भी इससे गरीबों को मदद मिल सकती है।

गहलोत ने कुलकर्ज का अकेले 25 फीसदी लिया
राजस्थान में अब तक की सरकारों ने जितना कर्ज लिया उसका 25 फीसदी गहलोत ने तीन साल में लिया। राज्य पर कुल कर्ज 4 लाख 34 हजार करोड़ से ज्यादा हो चुका है। सरकार सालाना 25 हजार करोड़ रूपए का ब्याज अदा कर रही है। पुरानी पेंशन योजना और मुफ्त बिजली राज्य को और भी भयंकर कर्ज में फंसा सकती है।

 

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आर्थिक संसाधन बढ़ाने में खर्च हो कर्ज
कर्ज तभी फायदेमंद है जब रकम का इस्तेमाल आर्थिक संसाधन पैदा करने में हो। राज्य अपने बजट का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने और मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर रहे हैं। इससे लोकप्रियता तो मिल रही लेकिन आमदनी नहीं हो रही। वैसे भी किसी राज्य पर जीएसडीपी का 20 फीसदी से ज्यादा कर्ज नहीं होना चाहिए।
– डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा, आर्थिक विशेषज्ञ, मुंबई

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