शिवगंगा के पास तालाब की खुदाई में मिले शिलालेख....13वीं शताब्दी के होने की संभावना
शिवगंगा जिले के दो गांवों सीतालुर और मुथलूर में प्राचीन पत्थर के शिलालेख और दफन कलश के अवशेष पाए गए हैं।
चेन्नई
Updated: June 25, 2022 08:30:35 pm
चेन्नई. शिवगंगा जिले के दो गांवों सीतालुर और मुथलूर में प्राचीन पत्थर के शिलालेख और दफन कलश के अवशेष पाए गए हैं। सीतालुर के ग्रामीणों ने शिवगंगा थोलनदाई कुझू के संस्थापक के कलिरसा को उनके गांव में एक तालाब के पास प्राचीन शिलालेखों के बारे में जानकारी दी।
कलिरसा ने बताया कि गांव में एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा था और इसके निर्माण के लिए पत्थर लाए जा रहे थे। इस दौरान पत्थरों की पट्टियां भी लाई गई थी। इन पट्टियों में शिलालेख दिखाई दिए। पट्टियों में एक शिलालेख आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मिला है। इसे पुरातत्व के विशेषज्ञों को दिखाया गया। विशेषज्ञों के अनुसार यह 13 वीं शताब्दी का हो सकता है और इसमें तमिल शब्द 'कदमई' और 'अंडारायम' अंकित हैं। यह कराधान से जुड़े हुए हैं। एक अन्य वाक्य में गांव के लोगों द्वारा भगवान को कुरिचिकुलम नामक एक तालाब दान करने की बात कही गई है।
कालीरासा ने बताया कि सीतालुर के पास इसी नाम का एक तालाब है और इसके किनारे पर शिलालेखों के साथ एक क्षतिग्रस्त पत्थर का खंभा है। एक और टूटा हुआ खंभा संभवत: इसकी मूल ऊंचाई का आधा, स्लुइस के पास पाया जाता है और ग्रामीण इसकी पूजा करते हैं। पड़ोसी कोवनूर में कुरिचिकुलम नाम का एक अन्य तालाब भी है।
प्राचीन कलश भी मिला
पड़ोसी मुथलूर गांव में शिवगंगा थोलनदाई कुझू के सदस्यों को भी एक टैंक के अंदर दफनाने वाले कलश मिले। इनमें एक बड़ा कलश भी मिला। इसका अधिकांश हिस्सा मिट्टी के नीचे दबा हुआ था। केवल शीर्ष भाग दिखाई दे रहा था। इसके चारों और कई छोटे कलश थे। कलिरासा ने बताया कि प्राचीन काल में इन गांवों के कब्रगाह होने की संभावना है। इस टैंक के आसपास लगभग 15 कलश हैं। इस गांव के कुछ पत्थर के खंभों पर भी प्रतीक खुदे हुए हैं, जो अन्य प्राचीन सभ्यताओं में पाए जाने वाले समान हैं। कलिरासा ने सीतालुर और मुथलूर के ग्रामीणों में जागरूकता पैदा करने और प्राचीन अवशेषों को नुकसान से बचाने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया।
200 साल पुराने सीमा पत्थर का पता चला
तिरुचि. पुदुकोट्टै पुरातत्व अनुसंधान मंच ने पुदुकोट्टै जिले के एक गांव में एक खुरदुरे पत्थर पर उत्कीर्ण एक शिलालेख की पहचान की है। यह शिलालेख सन् 1822 में का बताया जा रहा है। पत्थर के शिलालेख ने एक सीमा रेखा के रूप में कार्य किया और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और पुदुकोट्टै टोंडैमन साम्राज्य के बीच के क्षेत्र को चिह्नित किया।
यह पत्थर पोन्नामारावती शहर के पास नाकारापट्टी गांव में एक कृषि क्षेत्र के पास मिला था। एक स्कूल के प्रधानाध्यापक के सरवनन ने पुरातत्व अनुसंधान मंच को एक परित्यक्त शिलाखंड पर उकेरे गए अभिलेख के बारे में बताया। फोरम ने तमिल में शिलालेख की जांच करने के बाद कहा कि पत्थर तिरुचि जिले के मारुंगापुरी तालुक और पुदुकोट्टै जिले के कल्लमपट्टी गांव के कलिंगपट्टी गांव के बीच एक सीमा बिंदु के रूप में काम करता था। यह पत्थर 11 जुलाई, 1822 को औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार और पुदुकोट्टै सिंहासन के बीच हुए एक सौहार्दपूर्ण समझौते के परिणामस्वरूप बनाया गया था। पूर्ववर्ती देशी शासकों और ब्रिटिश के बीच इस तरह का सीमा पत्थर मिलना असामान्य है। शोध मंच के संस्थापक मंगनूर ए मणिकंदन ने कहा यह पत्थर पुदुकोट्टै तोंडैमन सिंहासन और तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों की गवाही के रूप में खड़ा है।

शिवगंगा के पास तालाब की खुदाई में मिले शिलालेख....13वीं शताब्दी के होने की संभावना
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
