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Tamilnadu: एक गरम चाय की प्याली हो…

locationचेन्नईPublished: Dec 15, 2019 10:10:47 pm

 
राजस्थान पत्रिका (Rajasthan patrika) की मेजबानी में चाय (Tea) पर परिचर्चा, कम चाय फायदेमंद लेकिन अति नुकसानदेय, अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस (International tea day) पर विशेष

International Tea Day

International Tea Day

चेन्नई. हर दिल जो प्यार करेगा फिल्म का लोकप्रिय गाना एक गरम चाय की प्याली हो.., चाय के शौकीनों को खूब पसंद आया। दूसरों को चाय की मनुहार करते समय अक्सर लोग कुछ इसी अंदाज में गाने के बोल भी बयां कर देते हैं कि एक गर्मागर्म चाय की प्याली हो। सलमान खान की यह पिक्चर खासी हिट हुई थी। ऐसी कई फिल्मों जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाया तथा समय-समय पर इन फिल्मों ने जायके की याद भी दिला दी।
चाय उत्पादकों एवं चाय मजूदरों की स्थिति को बेहतर बनाने के मकसद से हर साल 15 दिसम्बर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है। हालांकि भारत की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र ने 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस घोषित कर दिया है। अधिकतर चाय उत्पादक देशों मेंं गुणवत्तापूर्ण चाय उत्पादक का सीजन मई में शुरू होता है। साल 2004 में मुम्बई में व्यापार संघों एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक हुई जिसमें अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का फैसला किया गया था। पहली बार अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 15 दिसम्बर 2005 को मनाया गया। देश के पांच प्रमुख चाय उत्पादक देश चीन, भारत, केन्या, वियतमान एवं श्रीलंका के अलावा मलावी तंजानिया, बांग्लादेश, युगांडा, इंडोनेशिया व मलेशिया मे ंअभी 15 ्िदसम्बर को ही चाय दिवस मनाया जा रहा है।
भले ही चाय उत्पादक देश काफी लाभ कमाते हैं लेकिन चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों की हालत बहुत खराब होती है। उनको वेतन कम दिया जाता है वहीं उनके काम करने की स्थिति भी बहुत खराब होती है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर चाय मजदूरों की काम की स्थिति, मजदूरों के अधिकार, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य आदि को प्रोत्साहित करना है। चाय संस्कृति का जश्न मनाने का भी यह दिन हैं। इस दिन कामगार संगठनों, व्यापार संगठनों सिविल सोसायटी की ओर से सेमीनार, कार्यक्रम और चर्चाओं का आयोजन किया जाता है। चाय मजदूरों एवं चाय व्यापार की दुनिया की चिंताओं एवं समस्याओं पर बात की जाती है। चाय के बारे में जागरुकता की बात की जाती है। राजस्थान पत्रिका की ओर से चाय दिवस के अवसर पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें प्रवासियों ने अपने विचार रखे। परिचर्चा का संयोजन राजस्थान पत्रिका चेन्नई के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुरोहित ने किया।
बहुत अधिक मात्रा में चाय पीना हानिकारक
परिचर्चा के दौरान प्रवासियों ने चाय के लाभदायक एवं हानिकारक पक्षों पर अपने विचार रखे। बहुत अधिक मात्रा में चाय पीना जहां हानिकारक साबित हो सकता हैं तो हर्बल, ग्रीन चाय आदि शरीर के लिए फायदा भी पहुंचाती है। सही मायने में देखा जाएं तो चाय हमारी संस्कृति में रच-बस चुकी है। अधिकांश लोगों के प्रतिदिन जीवन की शुरुआत सुबह के वक्त चाय के साथ ही होती है। अधिकांश घरों में मेहमानों की मेजबानी चाय के साथ की जाती है। यानी चाय हमारी संस्कृति में रच-बस चुकी है। प्रवासियों ने चाय पर चर्चा के दौरान खुलकर अपनी बेबाक राय दी।
चाय हमारे लिए रामबाण
परिचर्चा में शामिल श्री गुरु जम्भेश्वर विश्नोई ट्रस्ट चेन्नई के सह सचिव राजूराम सोऊ विश्नोई ने कहा कि वे खुद चाय भले ही नहीं पीते, लेकिन चाय की कई वैरायटी हैं और कुछ वैरायटी हमारे लिए रामबाण का काम भी करती है। यही वजह है कि आयुर्वेद के कई चिकित्सक हर्बल चाय पीने की कई बार सलाह तक देते हैं।
श्री जांगीड़ ब्राह्मण सभा चेन्नई के अध्यक्ष भोमराज जांगीड़ ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसी समय चाय बेची थी। हमें उन पर गर्व हैं कि एक चाय बेचने वाला व्यक्ति आज प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा है। पिछले चुनाव के समय चाय पर चर्चा अभियान भी खासा सुर्खियों में रहा और एक पार्टी इसी की बूते मतदाताओं के नजदीक पहुंच सकी।
चाय जरूरी चीजों में शुमार
भारतीय संस्कृति संरक्षण समिति चेन्नई के वरिष्ठ सदस्य चम्पालाल प्रजापत ने कहा कि आज चाय हमारे लिए एक जरूरी चीज के रूप में शुमार हो चुकी है। यही कारण हैं कि किसी प्रसिद्ध चाय की दुकान पर चाय पीने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। जोधपुर में भाटी टी स्टॉल समेत कई चाय की दुकानों ने काफी प्रसिद्धि पाई है।
परिचर्चा की शुरुआत नारायणा इलेक्ट्रो स्कूल पूझल छात्रा परिषद की अध्यक्ष नवीं की छात्रा गुड्ड़ी विश्नोई ने चाय के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए की। उन्होंने बताया कि किस तरह चाय भारत में आई और लोगों के बीच चाय ने कैसे अपना स्थापना बनाया।
चाय हमारे लिए हानिकारक
सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण कुमार विश्नोई ने कहा कि चाय हमारे शरीर के लिए हानिकारक है। विश्नोई समाज के अधिकांश लोग चाय नहीं पीते। इतना ही नहीं प्रमुख समारोहों में भी चाय की मनाही रहती है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रामलाल चौधरी ने कहा कि आज चाय की दुकानों किसी विषय पर चर्चा एवं विमर्श के लिए प्रमुख स्थल बन चुकी है। चाहे राजनीति की चर्चा हो, कोई सामाजिक चर्चा हो या फिर अन्य किसी मुद्दें पर कोई बात। चाय की थडिय़ों पर लोग इन बातों पर घंटों बतियाते मिल जाएंगे।
चाय औषधि के रूप में भी
सामाजिक कार्यकर्ता संदीप कुमार जांगीड़ ने कहा कि चाय के वैसे तो कई रूप हमारे सामने हैं। लेकिन चाय औषधी के रूप में भी काम करती है। लोगों के सिरदर्द चाय पीने से ठीक हो जाते हैं। तुलसी की चाय भी शरीर को लाभ ही पहुंचाती है।
सामाजिक कार्यकर्ता मदनलाल माली ने कहा कि देश का शायद ही कोई ऐसा शहर-कस्बा होगा जहां चाय की दुकान न हो। शहरों में हर प्रमुख बाजार, चौराहों, मोहल्लों तक में चाय की दुकान मिल जाती है।

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