दिसंबर 2016 में जयललिता की मृत्यु के बाद दीपा चर्चा में रही थी। दीपा ने कहा कि उनके समर्थक किसी भी पार्टी में शामिल होने के लिए स्वतंत्र हैं, हालांकि वह चाहेंगी कि वे लोग सत्तारूढ़ एआईएडीएमके में जाएं। उन्होंने एआईएडीएमके के दिवंगत नेता एमजी रामचंद्रन और जयललिता के नाम पर फरवरी 2017 में एमजीआर-अम्मा दीपा पेरावई पार्टी का गठन किया था। साथ ही, उस साल दिसंबर में आर. के. नगर उपचुनाव लडऩे की भी कोशिश की थी। हालांकि, उनका नामांकन पत्र खारिज हो गया था।
दीपा ने कहा कि राजनीति में रहने के दौरान उन्होंने कई व्यक्तिगत आक्षेप का सामना किया। उन्होंने लोगों से इस तरह की टिप्पणी करना बंद करने का अनुरोध किया, ताकि महिलाएं सार्वजनिक जीवन में रहना जारी रखें। उन्होंने कहा, मैंने राजनीति छोडऩे का फैसला किया है। दीपा ने कहा, इसकी मुख्य वजह यह है कि पार्टी के गठन के बाद इसे एक अलग दिशा में ले जाया गया और मुझे धोखा दिया गया। उन्होंने कहा, मैं इन सभी चीजों के लिए तैयार नहीं थी, कोई अनुभव नहीं था, राजनीति में मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था। मेरे पास रास्ता दिखाने वाला कोई सही व्यक्ति नहीं था।
दीपा ने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह (राजनीति) एक बुरा अनुभव होगा। उन्होंने कहा कि राजनीति में उन्हें काफी अपशब्द सुनने को मिले। उन्होंने कहा, यदि महिलाओं को राजनीति में रहना है तो लोगों को उन्हें अपशब्द कहना बंद करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यही एक वजह है जिसने उन्हें राजनीति छोडऩे के लिए मजबूर किया।