scriptTamilnadu रेटेरी झील में फैल रहा जलकुंभी का जाल | Jalkumbhi in Retteri lake, chennai: water use in chennai | Patrika News

Tamilnadu रेटेरी झील में फैल रहा जलकुंभी का जाल

locationचेन्नईPublished: Dec 11, 2019 03:49:18 pm

Submitted by:

Dhannalal Sharma

रेटेरी झील (Retteri Lake) के उत्तरी भाग में अभी भी भूमि (Land) अधिग्रहण का काम (Work) बाकी है। यह हिस्सा पूरी तरह जलकुंभी (Jalkunbhi) से आच्छादित है।

Tamilnadu रेटेरी झील में फैल रहा जलकुंभी का जाल

Tamilnadu रेटेरी झील में फैल रहा जलकुंभी का जाल

चेन्नई. चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली कहावत रेटेरी झील पर सटीक बैठती है। गत मई-जून माह में रेटेरी झील के पानी ने चेन्नई वासियों की प्यास बुझाने में अहम भूमिका निभाई थी। जब महानगर के चारों प्रमुख सरोवर सूख चुके थे तब पीडब्ल्यूडी विभाग ने रेटेरी झील का पानी ही काम में लिया था। महीनों से इस झील से दमकल के जरिये पानी रेटेरी फिलिंग पॉइंट तक पहुंचाया जा रहा था ताकि वहां पानी को फिल्टर कर आमजन तक पहुंचाया जाए।
जलकुंभी ने फिर शुरू किया अपना जाल फैलाना
बहरहाल महानगर को जल संकट से मुक्ति मिल चुकी है जो कुछ महीने पहले पूर्णरूपेण टैंकर लॉरियों पर निर्भर हो गया था। जल संकट दूर होते ही ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन और पीडब्ल्यूडी विभाग फिर से चैन की बांसुरी बजाने लगे हैं जबकि उत्तर चेन्नई स्थित रेटेरी झील में जलकुंभी ने फिर से अपना जाल फैलाना शुरू कर दिया है।
नहीं हो रहा सही उपयोग
बतादें, इस झील के जीर्णोद्धार का काम मई २०१५ में ही शुरू हो गया था लेकिन वह अब तक पूरा नहीं हो पाया है। रेटेरी झील के उत्तरी भाग में अभी भी भूमि अधिग्रहण का काम बाकी है। यह हिस्सा पूरी तरह जलकुंभी से आच्छादित है। झील के उत्तरी किनारे पर नगर बसा हुआ है जबकि रेटेरी झील के दक्षिणी हिस्से में निर्माण का काम पूरा हो चुका है, लेकिन सरकार और जलदाय विभाग इस झील की देखरेख के प्रति उदासीन बना हुआ है। आलम यह है कि जो प्लेटफॉर्म आमजन की तफरी और जोगिंग के लिए बनाया गया है, उन प्लेटफाम्र्स का इस्तेमाल लोग सार्वजनिक शौचालय के रूप में करने लगे हैं। यही वजह है कि लोग यहां मॉर्निंग वॉक से परहेज कर रहे हैं।
दावा निकला खोखला
उल्लेखनीय है कि सरकार ने यह घोषणा की थी कि रेटेरी झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। झील में तैराकी लिए स्टीमर और नौकाओं का संचालन भी होगा, जो अब तक गायब नजर आ रही हैं। यहां की स्थिति को देखकर तो सरकार का दावा बिल्कुल खोखला साबित होता नजर आ रहा है।
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