मानव का परम लक्ष्य मोक्षप्राप्ति होता है उसे किसी न किसी भव में मोक्ष मिल ही जाती है। बबूल का पेड़ बोने वाला आम कभी नहीं पा सकता। अपने हर कर्म का हिसाब अवश्य किसी भी भव में देना ही होता है। कर्म बांधना सरल लेकिन उनका फल भोगना अत्यंत मुश्किल है। कहावत है कर्मों को किसी भी प्रकार की शर्म नहीं होती। मुनि ने कर्मों के खेल से संबद्ध रानी कमलावती व महाराजा शंख के जीवनाधारित कथानक शुरू किया। जयकलश मुनि ने गीतिका प्रस्तुत की। संचालन मंत्री महेंद्र गादिया ने किया। संघ उपाध्यक्ष डा. उत्तमचंद गोठी ने बताया रविवार का प्रवचन भी यहीं होगा।