विधानसभा अध्यक्ष पी. धनपाल द्वारा अयोग्य घोषित किए गए १८ विधायकों के मामले में गुरुवार का फैसला आने की पृष्ठभूमि में सदन की कार्यवाही शुरू हुई। दोपहर एक बजे फैसले का समय था उस वक्त सदन में भारी गहमागहमी थी।
मुख्यमंत्री एडपाड़ी के. पलनीस्वामी, उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम के अलावा एआईएडीएमके और डीएमके के अधिकांश सदस्य सदन से बाहर चले गए थे। वे अपने कक्ष में लगे टीवी स्क्रीन पर फैसले का इंतजार कर रहे थे। लिहाजा सदन में सदस्यों की संख्या कम हो गई।
हाईकोर्ट की पहली पीठ में आदेश के लिए नियत यह सातवां मामला था। एक-एक केस पर सुनाए जा रहे फैसले के साथ ही तनाव बढ़ रहा था। इस बीच डेढ़ बजे सातवें मामले यानी अयोग्य विधायकों के केस पर प्रथम पीठ ने फैसला पढऩा शुरू किया।
करीब १.४४ बजे सदन में एआईएडीएमके सदस्यों को किसी से खबर मिली कि फैसला उनके पक्ष में आया है। चूंकि उस वक्त हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ने अपना फैसला पढ़ा था। इस पर सदस्यों ने मेज पर थपकियां मारते हुए अपनी खुशी जाहिर की। स्कूल शिक्षा मंत्री के. ए. सेंगोट्टयन ने अभिवादन करते हुए अंगूठा दिखाते हुए संकेत दिया कि वे केस जीत चुके हैं।
उस वक्त डीएमके के सदन में उप नेता दुरै मुरुगन ने एआईएडीएमके सदस्यों से हाईकोर्ट के फैसले की जानकारी ली। उस वक्त डीएमके सदस्य गुमशुम से दिखाई दिए। हालांकि यह परिदृश्य चंद क्षणों में बदल गया जब प्रथम पीठ के सदस्य जस्टिस सुंदर ने मुख्य न्यायाधीश से इतर अपना फैसला दिया। इसके बाद सत्तारूढ़ सदस्यों की खुशी खामोशी मेंं बदल गई।