मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने घोषणा की कि 18 जुलाई को तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस संबंध में सरकारी आदेश (जीओ) जल्द ही जारी किया जाएगा। यहां एक बयान में उन्होंने कहा कि 18 जुलाई 1967 को तत्कालीन मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव को राज्य विधानसभा में तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी का नाम बदलकर तमिलनाडु करने के लिए पारित किया गया था।
19 जुलाई को तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाने का सत्तारूढ़ डीएमके का निर्णय विभिन्न राजनीतिक दलों, तमिल विद्वानों और उत्साही लोगों के अभ्यावेदन के बाद लिया गया था, जिन्होंने बताया कि तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के कुछ हिस्से एक नवंबर, 1956 को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल बन गए थे, और इसलिए इसे तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाना उचित नहीं होगा।
स्टालिन ने यह भी घोषणा की कि भाषाई राज्यों के गठन के समय तमिलनाडु की सीमा की सुरक्षा के संघर्ष में भाग लेने वाले सीमा रक्षकों को इस साल एक नवम्बर को विशेष मामले के रूप में एक लाख रुपए के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
विपक्षी अन्नाद्रमुक ने राज्य के स्थापना दिवस समारोह को बदलने के सरकार के फैसले पर हमला किया। पार्टी प्रवक्ता कोवई सत्यन ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि पलनीस्वामी ने घोषणा की थी कि 1 नवम्बर को तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाया जाएगा, आपने सथापना दिवस समाीोह तिथि बदल दी।