चेन्नई

जरा सोचें… ईसाई स्कूलों में कितनी महफूज हैं बेटियां?

Daughters Safety: मां-बाप के लिए बेटा-बेटी दोनों बराबर हैं मगर… बेटी की सुरक्षा को लेकर सभी चिंतित रहते हैं। भले ही वह स्कूल या फिर किसी अपने के घर ही क्यों न हो। आशंका जायज भी है क्योंकि हमारा समाज अभी परिवर्तन की उनींद में है।

चेन्नईAug 16, 2019 / 11:55 pm

arun Kumar

जरा सोचें… ईसाई स्कूलों में कितनी महफूज हैं बेटियां?

– हाईकोर्ट ने भी कुछ हद तक किया स्वीकार
– अब पुरुष सुरक्षा कानूनों पर भी हो विचार

चेन्नई.
मां-बाप के लिए बेटा-बेटी दोनों बराबर हैं मगर… बेटी की सुरक्षा को लेकर सभी चिंतित रहते हैं। भले ही वह स्कूल या फिर किसी अपने के घर ही क्यों न हो। आशंका जायज भी है क्योंकि हमारा समाज अभी परिवर्तन की उनींद में है। ऐसे में ईसाई शिक्षण संस्थानों का खुलापन और सह शिक्षा व्यवस्था कुछ हद तक बच्चों के मन मस्तिष्क को झकझोरती जरूर है भले ही यह प्रक्रिया कुछ दिन की ही क्यों न हो। बस इसी प्रक्रिया से भारतीया अभिभावक घबराते हैं कि उनका बेटा या बेटी कही भ्रमित न हो जाए। मद्रास उच्च न्यायालय ने एक मामले में माना कि ईसाई शिक्षण संस्थानों में जहां सह शिक्षा व्यवस्था है, वहां सुरक्षा को लेकर छात्राएं व अभिभावक चिंतित हैं। खासकर अभिभावकों में आम धारणा घर करती जा रही है कि ऐसे शिक्षण संस्थान उनकी बेटियों के लिए महफूज नहीं हैं।

आखिर हाईकोर्ट ने क्यों जताया अंदेशा

 

हाईकोर्ट का यह विचार मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के शिक्षक पर लगे यौन उत्पीडऩ के आरोप को खारिज करने की याचिका पर था। याची पर कॉलेज में प्राणी विज्ञान की तीसरे वर्ष की 34 छात्राओं के साथ शैक्षणिक भ्रमण के दौरान यौन उत्पीडऩ का आरोप लगा था। उसने इस सिलसिले में कॉलेज की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस को खारिज करने की अर्जी लगाई थी। न्यायाधीश एस. वैद्यनाथन ने अर्जी को ठुकराते हुए कहा अभिभावकों और खासकर छात्राओं की आम सोच हो चली है कि क्रिश्चियन शिक्षण संस्थानों की सह-शिक्षण व्यवस्था उनके भविष्य के लिए असुरक्षित है। न्यायाधीश ने कहा, ईसाई मिशनरी हमेशा किसी न किसी मसले को लेकर मतभेदों में घिर जाते हैं। मौजूदा दौर में उन पर धर्म परिवर्तन में लिप्तता के आरोप लग रहे हैं। हालांकि उनकी ओर से दी जा रही शिक्षा अव्वल है लेकिन नैतिकता का जो पाठ पढ़ाया जाता है वही यक्ष प्रश्न है।

पुरुषों की भी सुरक्षा जरूरी

 

Just think ... how safe are daughters in Christian schools?
महिला सुरक्षा की खातिर बने कानूनों के दुरुपयोग पर जज वैद्यनाथन ने विचार रखे कि अब समय आ गया है जब सरकार इन काूननों में संशोधन लाए ताकि पुरुषों की भी हिफाजत हो सके। यह सही समय है कि सरकार इन कानूनों में उचित संशोधन करे ताकि इनका दुरुपयोग नहीं हो। पुरुषों को सबक सिखाने की प्रबल इच्छा की वजह से महिलाएं इन कानूनोंं के गलत उपयोग का विकल्प चुन लेती हैं। फिर वे झूठे वाद दायर करती हैं। दहेज निरोधी कानून (498-ए) में इस तरह की प्रवृत्तियां देखी जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तो इसे ‘लीगल टेरेरिज्मÓ कहा है। न्यायालय ने मौजूदा याचिका जो कॉलेज के सहायक प्रोफेसर सैम्युअल टेनिसन ने दायर की है पर वादी की दलीलों को नामंजूर कर दिया। जज ने यौन उत्पीडऩ के आरोपों की जांच के लिए कॉलेज द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति के निष्कर्ष तथा जुटाए गए तथ्यों को निरस्त करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा इसमें प्रकृति के न्याय सिद्धांत का उल्लंघन नहीं हुआ है।

Home / Chennai / जरा सोचें… ईसाई स्कूलों में कितनी महफूज हैं बेटियां?

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.