जीवन में ज्ञान महत्त्वपूर्ण, जीवन में निरंतर हो ज्ञान का विकास
चेन्नई. आचार्य महाश्रमण रविवार सवेरे रेडहिल्स से प्रस्थान कर अम्बत्तूर स्थित वितसेतु भास्कर हायर सेकंडरी स्कूल पहुंचे जहां स्कूल प्रबंधन के पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया। यहां साध्वी प्रमुखा ने कहा जीवन को सफल बनाने के लिए धर्माचरण करें। आचार्य ने कहा आदमी के जीवन में ज्ञान का महत्वपूर्ण स्थान है। आदमी के पास खुद का ज्ञान होना चाहिए, अपने ज्ञान का कहीं ज्यादा महत्व होता है। उसे स्वयं के ज्ञान का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में स्वयं की आंख की तरह अपने ज्ञान का भी महत्व है। विद्यालयों, विश्वविद्यालयों में लौकिक ज्ञान के साथ ही आध्यात्मिक ज्ञान भी दिया जाए तो विद्यार्थियों का अच्छा विकास हो सकता है। आदमी के जीवन में जब ज्ञान का विकास होता है सम्यक् आचार भी हो सकता है और आत्मोत्थान की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
अज्ञान अपने आप में दु:ख और कष्ट है इसलिए आदमी को ज्ञान का विकास करने का प्रयास करना चाहिए जिससे आदमी राग से वीराग की ओर जा सके और मैत्रीपूर्ण चेतना बन सके। सम्यक् ज्ञान के बिना सम्यक् आचार का भी उतना ही लाभ नहीं प्राप्त हो सकता है। आचार्य भिक्षु ज्ञानीपुरुष थे। उन्होंने अपने ज्ञान से कितनों को आलोकित किया था।
उन्होंने अहिंसा यात्रा के तीना उद्देश्यों को बताया और उन्हें इसके तीनों संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया जिसे लोगों ने सहर्ष स्वीकार किया। अम्बत्तूर से जन्मी समणी शशिप्रज्ञा ने आचार्य के समक्ष अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। अम्बत्तूर महिला मण्डल ने गीत पेश किया। अम्बत्तूर तेरापंथ समाज के अध्यक्ष आनंद समदडिय़ा, मंत्री राकेश बैद, एस.एस. जैन संघ के मंत्री गौतम गादिया, कांता सिंघी व बालिका खुशी बोहरा ने विचार व्यक्त किए। अम्बत्तूर ज्ञानाशाला के ज्ञानार्थियों ने भी प्रस्तुति दी। अम्बत्तूर से जन्मी समणी शशिप्रज्ञा ने आचार्य के समक्ष अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। अम्बत्तूर महिला मण्डल ने गीत पेश किया। अम्बत्तूर तेरापंथ समाज के अध्यक्ष आनंद समदडिय़ा, मंत्री राकेश बैद, एस.एस. जैन संघ के मंत्री गौतम गादिया, कांता सिंघी व बालिका खुशी बोहरा ने विचार व्यक्त किए। अम्बत्तूर ज्ञानाशाला के ज्ञानार्थियों ने भी प्रस्तुति दी।