संपत्ति संयुक्त रूप से शशिकला और दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता के स्वामित्व में है। टीम का नेतृत्व पश्चिम क्षेत्र के महानिरीक्षक आर. सुधाकर कर रहे हैं। अन्य अधिकारियों में पुलिस अधीक्षक, नीलगिरी जिले, आशीष रावत और एडीएसपी कृष्णमूर्ति शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि पूर्व अंतरिम महासचिव जांच में सहयोग की। एक चार्जशीट दायर की गई है, जिसमें सी. कनगराज, (जो कभी जयललिता के ड्राइवर थे) ने कोडनाड एस्टेट को तोडऩे की साजिश रची, क्योंकि उनका मानना था कि एस्टेट बंगले में बड़ी मात्रा में पैसा रखा गया था।
23 अप्रैल, 2017 को, कनकराज के नेतृत्व में 10 लोगों के एक गिरोह ने संपत्ति में सेंध लगाई और एक गार्ड, ओम बहादुर की हत्या कर दी, जबकि एक अन्य गार्ड कृष्ण थापा को पीटा गया और बांध दिया गया। पुलिस सूत्रों ने कहा कि कनगराज ने एक अन्य आरोपी स्टेन को आश्वस्त किया था कि 200 करोड़ रुपए की राशि एस्टेट बंगले में रखी गई थी, लेकिन डकैतों को केवल 10 घडिय़ां और 42,000 रुपये के गैंडे की क्रिस्टल प्रतिकृति ही मिली। कोडनाड एस्टेट डकैती कनगराज के पांच दिन बाद आत्तूर में सेलम-चेन्नई हाईवे पर सडक़ हादसे में मुख्य आरोपी की मौत हो गई थी।
केरल का एक अन्य आरोपी सायन भी उसी दिन एक दुर्घटना का शिकार हुआ, लेकिन वह घायल हो गया, जबकि उसकी पत्नी और बेटी की मौत हो गई। सायन इस मामले में दूसरा आरोपी था। 3 जुलाई, 2017 को कोडनाड एस्टेट के कंप्यूटर ऑपरेटर दिनेश कुमार अपने घर में मृत पाए गए, जिससे कुल मिलाकर पांच लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने सितम्बर 2017 में 11 लोगों के खिलाफ 300 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था, जिनमें से केवल कनगराज तमिलनाडु से थे, बाकी केरल के थे।
दूसरे आरोपी सायन और एक अन्य आरोपी मनोज ने एक पत्रकार को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के. पलनीस्वामी ने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की तलाशी के लिए कोडनाड एस्टेट को तोडऩे का आदेश दिया था। तीन आरोपियों ने ईपीएस शशिकला, तत्कालीन नीलगिरी कलेक्टर और तत्कालीन जिला पुलिस प्रमुख से पूछताछ की मांग को लेकर अदालत का रुख किया। तमिलनाडु पुलिस के सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में और लोगों से पूछताछ की जा सकती है और शशिकला के साथ जांच खत्म नहीं होगी।