अन्य रूटों से आने वाली बसें तो टीएनएचबी रोड पर ही खड़ी की जाती थी और यात्री सडक़ पर खड़े होकर धूप-बारिश में ही गंतव्य की बसों का इंतजार करते थे। टर्मिनस के बसों आवाजाही के गेट इतने संकीर्ण थे कि बसों को अंदर ले जाने एवं बाहर निकालने में चालकों के पसीने छूट जाते थे।
लेकिन दो साल पहले इस बस टर्मिनस का कायाकल्प कर दिया गया। बहरहाल इस बस टर्मिनस में टीन शेड, बसों की पार्किंग के लिए दो प्लेटफार्म एवं उन पर यात्रियों के बैठने के लिए बेंचें, महिला और पुरुष यात्रियों के लिए अलग-अलग शौचालय आदि सभी सुविधाएं मुहैया करवा दी गई हैं। इस बस शेल्टर में लाइटिंग भी बेहतर है फिर भी कोरटूर निवासियों को इस शेल्टर में बसों की आवाजाही में हो रही परेशानियों की फिक्र है।
यहां के रहवासियों का कहना है कि सरकार और मौजूदा विधायक के प्रयास से इस शेल्टर का निर्माण तो हो गया, लेकिन मुख्य मार्ग से बस टर्मिनस तक बसो की आवाजाही में बस चालकों को अभी भी परेशानी से जूझना पड़ता है।
यात्रियों के जुबानी…
&टर्मिनस का कायाकल्प कर इसमें शेल्टर तो लगा दिए लेकिन टीएनएचबी रोड की चौड़ाई कम होने के कारण दो बसें एक साथ आवाजाही नहीं कर पाती है। इसके कारण यहां से बसें समय से निकल नहीं पाती।
डी कृष्णमूर्ति, स्थानीय दुकानदार
&सरकार ने यहां सभी सुविधाएं तो बहाल कर दी, लेकिन अम्मा वाटर बूथ नहीं लगाया। इस इलाके में मेट्रो वाटर की सप्लाई भी बेहतर नहीं है। यात्रियों को पीने की पानी के लिए यहां से कुछ दूर जाना पड़ता है। कॉर्पोरेशन को यहां वाटर बूथ की व्यवस्था करनी चाहिए।एल. गणेशन, यात्री, अरुणाचलम स्ट्रीट