बहरहाल ज्यादातर मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगस्त के पहले सप्ताह में उत्तर और मध्य भारत में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की रिकवरी की उम्मीद है और इससे सामान्य से अधिक बारिश बहाल होने में मदद मिलेगी।
राज्य में 47 प्रतिशत अधिक बारिश
प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक पूवीअरसन ने बताया कि पिछले चौबीस घंटों में दो-तीन जिलों को छोडक़र राज्य के सभी जिलों में बरसात हुई है। अब तक का दक्षिण-पश्चिमी मानसून अच्छा रहा है। एक जून से 29 जुलाई तक पूरे तमिलनाडु में 183.80 मिमी बारिश दर्ज हुई है जो कि औसत 125.30 मिमी से 47 फीसदी अधिक है
32 प्रतिशत जिलों में कम बारिश
1 जून से जुलाई के बीच देश के 685 जिलों में से करीब 32 प्रतिशत जिलों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई है, जबकि शेष जिलों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई है। जिन जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, उनमें से ज्यादातर जिले उत्तर प्रदेश (28), राजस्थान (24) और गुजरात (18) के हैं।
खेती पर असर
जुलाई महीने में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून में कमी से खरीफ फसलों की बुआई पर बहुत ज्यादा असर पडऩे की संभावना नहीं है। 24 जुलाई तक खरीफ की फसलों की बुआई करीब 799.5 लाख हेक्टेयर थी, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 18.5 प्रतिशत से ज्यादा है, जिसमें दलहन और तिलहन की बुआई ज्यादा हुई है।
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‘जुलाई में मॉनसून उम्मीद के कुछ विपरीत रहा है। अल नीनो निरपेक्ष बना रहा और वह ला नीना में परिवर्तित नहीं हुआ, जैसी कि उम्मीद की जा रही थी। लेकिन अगस्त में बेहतर बारिश की संभावना है और उत्तर-पश्चिम भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश दिल्ली आदि इलाकों में जोरदार बारिश के अनुमान हैं, जिससे स्थिति में सुधार होगी। साथ ही मध्य भारत के इलाकों में भी बेहतर बारिश के अनुमान हैं।’
– महेश पालावत, उपाध्यक्ष, स्काईमेट वेदर के मौसम विभाग और जलवायु परिवर्तन